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भारतीय इतिहास, संस्कृति और संविधान पर चर्चा का आयोजन

पानीपत में आयोजित भारतीय इतिहास, संस्कृति और संविधान पर तीन दिवसीय कार्यक्रम के दूसरे दिन शिक्षाविदों ने महत्वपूर्ण विषयों पर चर्चा की। इस कार्यक्रम में विभिन्न राज्यों से आए विशेषज्ञों ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना, जनजातीय विमर्श और अन्य मुद्दों पर अपने विचार साझा किए। कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रशान्त गौरव ने किया, जिसमें कई प्रमुख शिक्षाविदों ने भाग लिया। इस संगोष्ठी में भारतीय लोकतांत्रिक परंपरा और संविधान के निर्माण में विभिन्न व्यक्तियों के योगदान पर भी चर्चा की गई।
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भारतीय इतिहास, संस्कृति और संविधान पर चर्चा का आयोजन

कार्यक्रम का विवरण


  • कार्यक्रम में विभिन्न राज्यों से आए गणमान्य व्यक्तियों ने भाग लिया


भारतीय इतिहास, संस्कृति और संविधान कार्यक्रम, पानीपत: अखिल भारतीय इतिहास संकलन योजना द्वारा आयोजित तीन दिवसीय अधिवेशन के दूसरे दिन भारतीय संविधान की प्रस्तावना, जनजातीय विमर्श और अन्य महत्वपूर्ण विषयों पर शिक्षाविदों ने विचार-विमर्श किया।


उपस्थित विशेषज्ञ

इस कार्यक्रम का संचालन डॉ. प्रशान्त गौरव ने किया, जबकि अध्यक्षता प्रोफेसर प्रवेश भारद्वाज ने की। इस अवसर पर तेलंगाना, पटना, सिक्किम, जयपुर, दिल्ली, मेरठ, अवध, हरियाणा और अन्य राज्यों से आए विशेषज्ञों में कैलाश चंद गुर्जर, युतिका मिश्रा, रामगोपाल शर्मा, डॉ. नरेंद्र शुक्ला, प्रोफेसर दयानंद कादियान, डॉ. रत्ना सिंह, डॉ. कुलदीप त्यागी, डॉ. रत्नेश कुमार त्रिपाठी, डॉ. विनोद कुमार, डॉ. जयंतीलाल खंडेलवाल, डॉ. उमेश कुमार सिंह, प्रोफेसर वीनू पंथ, डॉ. प्रतीक कुमार, प्रोफेसर रमाकांत शर्मा और प्रोफेसर अरविंद कुमार शामिल थे।


विभिन्न विषयों पर चर्चा

कार्यक्रम के दूसरे दिन सौरभ शुक्ला ने भारतीय संविधान की प्रस्तावना के मूल सिद्धांतों पर, शिबा प्रसाद दश ने कांस्टीट्यूशनल प्रोटक्शन और जनजातीय विकास पर, और डॉ. दिनेश चंद्र शर्मा ने भारतीय संविधान सभा और जनजातीय विमर्श पर अपने विचार प्रस्तुत किए। अन्य वक्ताओं में डॉ. शारदा कांत मिश्रा, रश्मि भारती, डॉ. मनीष श्रीमाली, और डॉ. संतोष आनंद मिश्रा शामिल थे।


ऐतिहासिक योगदान का विश्लेषण

डॉ. माया ने भारतीय लोकतांत्रिक परंपरा में राम राज्य और संविधान पर, जबकि डॉ. प्रवीण कुमार त्रिपाठी ने समान नागरिक संहिता पर अपने विचार साझा किए। अन्य वक्ताओं ने भी भारतीय संविधान और उसके निर्माण में विभिन्न व्यक्तियों के योगदान पर चर्चा की।


शिक्षा संबंधित अधिकारों पर विचार

अर्पित द्विवेदी ने डॉ. भीमराव अंबेडकर के योगदान पर, और डॉ. दयानंद ने हिंदी माध्यम के संचार पर अपने विचार प्रस्तुत किए। अन्य वक्ताओं ने भी भारतीय संविधान और उसके निर्माण में शामिल प्रमुख व्यक्तित्वों पर चर्चा की।


राजभाषा हिंदी की भूमिका

अभिलाष कुमार ने गांधी के सतत विकास दृष्टिकोण पर, और डॉ. बमबम यादव ने भारतीय संविधान में वनवासी प्रतिबिंब पर अपने विचार साझा किए। अन्य वक्ताओं ने भी विभिन्न विषयों पर अपने विचार प्रस्तुत किए।


कार्यक्रम का समय

यह कार्यक्रम सुबह 9:30 बजे से शुरू हुआ और दोपहर तक चला। इसमें विभिन्न विषयों पर विचार-विमर्श किया गया।