भारतीय ज्वैलरी उद्योग का जुलाई में शानदार प्रदर्शन: निर्यात में 15.98% की वृद्धि

जुलाई में ज्वैलरी निर्यात में वृद्धि
Trump Tariff Failed: वैश्विक आर्थिक चुनौतियों और अमेरिकी टैरिफ के बीच, भारतीय ज्वैलरी उद्योग ने जुलाई में उल्लेखनीय प्रदर्शन किया है। इस महीने का निर्यात सालाना आधार पर 15.98% बढ़कर 18,756.28 करोड़ रुपये तक पहुंच गया है। यह वृद्धि न केवल बाजार में सकारात्मक संकेत दे रही है, बल्कि आगामी त्योहारी सीजन के लिए उद्योग का आत्मविश्वास भी बढ़ा रही है। हीरे एवं आभूषण निर्यात संवर्धन परिषद (GJEPC) के आंकड़ों के अनुसार, जुलाई 2024 में यह निर्यात 15,700 करोड़ रुपये था। इस वृद्धि का मुख्य कारण इंडिया इंटरनेशनल ज्वेलरी शो (IIJS) प्रीमियर 2025 में सफल ऑर्डर बुकिंग और हांगकांग बाजार में मजबूत वापसी को माना जा रहा है।
GJEPC के अध्यक्ष का बयान
GJEPC प्रेसिडेंट का बयान
जीजेईपीसी के अध्यक्ष किरीट भंसाली ने कहा कि जुलाई में निर्यात का प्रदर्शन उत्साहजनक रहा और यह हमारे उद्योग के लिए एक सकारात्मक संकेत है। इसे मुख्य रूप से इंडिया इंटरनेशनल ज्वेलरी शो (आइआइजेएस) प्रीमियर के दौरान सफल ऑर्डर बुकिंग और हांगकांग बाजार में मजबूत वापसी से बढ़ावा मिला है। वैश्विक चुनौतियों, जैसे अमेरिकी टैरिफ, के बीच यह प्रदर्शन काफी सराहनीय है।
IIJS प्रीमियर 2025 में रिकॉर्ड ऑर्डर
IIJS प्रीमियर 2025 में रिकॉर्ड ऑर्डर
परिषद के अनुसार, हाल ही में आयोजित IIJS प्रीमियर 2025 में लगभग 70,000 से 90,000 करोड़ रुपये के ऑर्डर प्राप्त हुए हैं। इससे त्योहारी सीजन से पहले उद्योग में नई ऊर्जा का संचार हुआ है।
जुलाई 2025 के निर्यात आंकड़े
जुलाई 2025 के निर्यात आंकड़े
कटे और पॉलिश किए गए हीरे: जुलाई 2025 में निर्यात 17.76% बढ़कर 9,230.66 करोड़ रुपये रहा, जबकि जुलाई 2024 में यह 7,608.79 करोड़ रुपये था।
सोने के ज्वैलरी: जुलाई 2025 में निर्यात 16.39% बढ़कर 7,005.96 करोड़ रुपये रहा, जबकि पिछले वर्ष यह 5,844.28 करोड़ रुपये था।
प्रयोगशाला में निर्मित हीरे: जुलाई 2025 में निर्यात 27.61% बढ़कर 1,054.65 करोड़ रुपये रहा, जबकि एक साल पहले यह 802.16 करोड़ रुपये था।
उद्योग के लिए सकारात्मक संकेत
उद्योग के लिए सकारात्मक संकेत
विशेषज्ञों का मानना है कि इन आंकड़ों से स्पष्ट है कि वैश्विक चुनौतियों के बावजूद भारत का ज्वैलरी उद्योग मजबूती से आगे बढ़ रहा है। त्योहारी सीजन और अंतरराष्ट्रीय बाजारों में मांग बढ़ने से आने वाले महीनों में भी यह रफ्तार बनाए रखने की उम्मीद है।