भारतीय नौसेना और ब्रिटिश कैरियर स्ट्राइक ग्रुप का संयुक्त अभ्यास: समुद्री सुरक्षा में नई पहल

भारतीय नौसेना का महत्वपूर्ण अभ्यास
Indian Navy: भारतीय नौसेना ने 9 और 10 जून, 2025 को उत्तरी अरब सागर में ब्रिटेन के कैरियर स्ट्राइक ग्रुप के साथ एक संयुक्त नौसैनिक अभ्यास 'पैसेज एक्सरसाइज' (PASSEX) में भाग लिया। इस बहुपरकारी अभ्यास में भारतीय नौसेना के स्टेल्थ फ्रिगेट INS तबर, एक पनडुब्बी और P8I समुद्री निगरानी विमान शामिल थे। ब्रिटिश नौसेना की तरफ से HMS प्रिंस ऑफ वेल्स और HMS रिचमंड ने भी इस अभ्यास में भाग लिया।
सहयोग और सुरक्षा का उद्देश्य
इस विशेष द्विपक्षीय अभ्यास का मुख्य उद्देश्य दोनों नौसेनाओं के बीच सहयोग को और मजबूत करना था, जो समुद्री सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए साझा प्रतिबद्धता और रणनीतिक तालमेल को दर्शाता है। यह साझेदारी हिन्द महासागर क्षेत्र में स्थिरता और सुरक्षा बनाए रखने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम मानी जा रही है।
हेलीकॉप्टर संचालन का समन्वय
एकीकृत हेलीकॉप्टर संचालन
अभ्यास के दौरान, दोनों नौसेनाओं ने अपने हेलीकॉप्टरों का समन्वित संचालन किया। इस एकीकृत अभ्यास ने विमानों की संचार और नियंत्रण क्षमताओं का परीक्षण किया, जिससे आपसी कार्यक्षमता में वृद्धि हुई।
सामरिक युद्धाभ्यास का महत्व
सामरिक युद्धाभ्यास
भारतीय और ब्रिटिश नौसेनाओं ने विभिन्न सामरिक युद्धाभ्यास (Tactical Manoeuvres) किए, जिनका उद्देश्य समुद्र में परिचालन कौशल को निखारना था। इन युद्धाभ्यासों ने दोनों पक्षों की युद्ध तत्परता और संयुक्त परिचालन योग्यता को मजबूत किया।
पनडुब्बी रोधी अभियान का समन्वय
समन्वित पनडुब्बी रोधी अभियान
एक अन्य महत्वपूर्ण भाग था पनडुब्बी रोधी ऑपरेशनों में तालमेल। भारतीय नौसेना की पनडुब्बी और P8I विमान ने ब्रिटिश नौसेना के पोतों के साथ मिलकर पनडुब्बी रोधी अभ्यास किए, जिससे गहराई में खतरे की पहचान और जवाबी रणनीतियों पर काम किया गया।
अधिकारियों का अनुभव साझा करना
पेशेवर अधिकारियों का आदान-प्रदान
अभ्यास के अंतर्गत दोनों देशों के नौसैनिक अधिकारियों ने एक-दूसरे के जहाजों पर जाकर अनुभव साझा किया और परिचालन प्रक्रियाओं पर चर्चा की। यह आपसी समझ और रणनीतिक समन्वय को और अधिक गहरा करने में सहायक रहा।
वैश्विक समुद्री सुरक्षा में योगदान
यह PASSEX अभ्यास न केवल दोनों देशों की नौसेनाओं के बीच सामरिक तालमेल को दर्शाता है, बल्कि वैश्विक समुद्री सुरक्षा में उनके योगदान को भी रेखांकित करता है। दोनों सेनाएं इस तरह के संयुक्त अभ्यासों के माध्यम से हिंद महासागर क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने की दिशा में निरंतर प्रयासरत हैं।