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भारतीय नौसेना की नई ताकत: एडवांस गाइडेड मिसाइल युद्धपोत हिमगिरि का शामिल होना

भारतीय नौसेना ने एडवांस गाइडेड मिसाइल युद्धपोत हिमगिरि को अपने बेड़े में शामिल किया है। यह युद्धपोत ब्रह्मोस और बराक-8 जैसी घातक मिसाइलों से लैस है, जो इसे समुद्र में एक शक्तिशाली रक्षा प्रणाली बनाती हैं। इसकी डिजाइन और तकनीक इसे मल्टी-रोल वारशिप बनाती हैं, जो विभिन्न प्रकार के मिशनों के लिए सक्षम है। जानें इस युद्धपोत की विशेषताएँ और भारत की समुद्री ताकत में इसका योगदान।
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भारतीय नौसेना की नई ताकत: एडवांस गाइडेड मिसाइल युद्धपोत हिमगिरि का शामिल होना

भारतीय नौसेना में नया युद्धपोत

राष्ट्रीय समाचार: भारतीय नौसेना ने एडवांस गाइडेड मिसाइल युद्धपोत हिमगिरि को अपने बेड़े में शामिल किया है। यह युद्धपोत ब्रह्मोस और बराक-8 जैसी अत्याधुनिक मिसाइलों से लैस है। इसकी लंबाई 149 मीटर और वजन 6670 टन है, और इसे प्रोजेक्ट 17ए के तहत विकसित किया गया है। इसे गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स लिमिटेड द्वारा निर्मित किया गया है, जो अब तक 112 जहाज बना चुके हैं। इस युद्धपोत को दिसंबर 2020 में लॉन्च किया गया था और तीन साल की कड़ी परीक्षण प्रक्रिया के बाद इसे नौसेना को सौंपा गया है।


हिमगिरि की विशेषताएँ

इसमें डीजल इंजन और गैस टर्बाइन का संयोजन, उन्नत AESA रडार और मल्टी-रोल वॉरफेयर सिस्टम शामिल हैं। 225 अधिकारियों और नौसैनिकों के लिए आरामदायक आवास और हेलीकॉप्टर डेक की सुविधा भी उपलब्ध है। यह युद्धपोत समुद्र में भारत की शक्ति और आत्मनिर्भर रक्षा क्षमता का प्रतीक बन गया है।


ब्रह्मोस और बराक का संयोजन

हिमगिरि पर तैनात मिसाइलें: इस युद्धपोत पर ब्रह्मोस क्रूज मिसाइल और बराक-8 एंटी एयरक्राफ्ट मिसाइलें स्थापित की गई हैं। ब्रह्मोस समुद्र से जमीन और समुद्र से समुद्र पर हमला कर सकती है, जबकि बराक-8 दुश्मन के हवाई हमलों को रोकने में सक्षम है। इन मिसाइलों के कारण हिमगिरि की हमले और बचाव की क्षमताएँ मजबूत हुई हैं। यह युद्धपोत हर दिशा से दुश्मन को जवाब देने में सक्षम है।


प्रोजेक्ट 17ए की लागत

21,833 करोड़ रुपये का प्रोजेक्ट: प्रोजेक्ट 17ए के तहत तीन युद्धपोत बनाए जा रहे हैं, जिनमें हिमगिरि पहला है। इन तीनों जहाजों पर कुल 21,833 करोड़ रुपये खर्च होने का अनुमान है। जीआरएसई ने अब तक 112 जहाज बनाए हैं और यह उनका 801वां पोत है, जो भारतीय शिपबिल्डिंग इतिहास में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है।


आधुनिक डिजाइन और तकनीक

हिमगिरि का डिजाइन: यह युद्धपोत पूरी तरह से आधुनिक तकनीक से लैस है। इसमें डीजल इंजन और गैस टर्बाइन का संयोजन है, साथ ही उन्नत AESA रडार और आधुनिक युद्ध प्रणाली भी शामिल हैं। इसमें एयर डिफेंस, सरफेस वारफेयर और पनडुब्बी रोधी क्षमताएँ हैं, जो इसे एक मल्टी-रोल वारशिप बनाती हैं।


नौसैनिकों के लिए सुविधाएँ

आरामदायक आवास: हिमगिरि में 225 अधिकारियों और नौसैनिकों के लिए रहने की पूरी व्यवस्था है। इसमें आरामदायक केबिन और सभी आवश्यक सुविधाएँ मौजूद हैं। जहाज पर हेलीकॉप्टर ऑपरेशन के लिए एक पूरा डेक और हैंगर भी है, जिससे यह लंबी दूरी तक मिशन करने में सक्षम है।


लॉन्च और परीक्षण

2020 में लॉन्च: हिमगिरि को दिसंबर 2020 में पहली बार लॉन्च किया गया था। इसके बाद तीन साल की कड़ी परीक्षण प्रक्रिया में इसकी मिसाइल, रडार और इंजन की कई बार जांच की गई। सभी परीक्षण सफल होने के बाद इसे नौसेना को सौंपा गया है, जिससे भारत की नौसैनिक शक्ति में वृद्धि हुई है।


भारत की नई समुद्री ताकत

आत्मनिर्भर रक्षा: हिमगिरि का शामिल होना भारत के आत्मनिर्भर रक्षा अभियान की एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह पूरी तरह से स्वदेशी तकनीक से निर्मित है और ब्रह्मोस तथा बराक जैसी घातक मिसाइलों से लैस है। इससे भारत की समुद्री सीमाओं की सुरक्षा और मजबूत होगी और पड़ोसी देशों पर इसका मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ेगा।