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भारतीय नौसेना ने 'इक्षक' सर्वेक्षण पोत का किया स्वागत

भारतीय नौसेना ने अपने तीसरे सर्वेक्षण पोत 'इक्षक' का स्वागत किया है, जो स्वदेशी तकनीक से निर्मित है। यह पोत हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण, नौवहन मार्गों का निर्धारण और समुद्र विज्ञान डेटा संग्रह के लिए बनाया गया है। जानें इस पोत की विशेषताएँ, निर्माण प्रक्रिया और आत्मनिर्भर भारत पहल में इसकी भूमिका के बारे में।
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भारतीय नौसेना ने 'इक्षक' सर्वेक्षण पोत का किया स्वागत

भारतीय नौसेना का नया सर्वेक्षण पोत

भारतीय नौसेना ने आज अपने चार प्रमुख सर्वेक्षण पोतों में से तीसरे पोत, 'इक्षक' (यार्ड 3027) का स्वागत किया। यह पोत भारतीय नौसेना के वारशिप डिज़ाइन ब्यूरो द्वारा डिज़ाइन किया गया 102वां जहाज है, जिसे कोलकाता स्थित गार्डन रीच शिपबिल्डर्स एंड इंजीनियर्स (जीआरएसई) ने निर्मित किया है। इसकी निगरानी वारशिप ओवरसीइंग टीम (कोलकाता) ने की।


पहले दो पोतों का परिचय

इस श्रेणी का पहला पोत, आईएनएस संधायक, 3 फरवरी 2024 को और दूसरा पोत, आईएनएस निर्देशक, 18 दिसंबर 2024 को भारतीय नौसेना में शामिल किया गया था। चार सर्वेक्षण पोतों के निर्माण का अनुबंध 30 अक्टूबर 2018 को हस्ताक्षरित हुआ था।


इक्षक की विशेषताएँ और उद्देश्य

इक्षक को जीआरएसई द्वारा भारतीय रजिस्टर ऑफ शिपिंग के मानकों के अनुसार डिज़ाइन और निर्मित किया गया है। यह पोत बंदरगाहों, तटीय और गहरे समुद्र में हाइड्रोग्राफिक सर्वेक्षण, नौवहन मार्गों और चैनलों का निर्धारण करने के लिए बनाया गया है। इसके अलावा, यह समुद्र विज्ञान और भू-भौतिकी डेटा संग्रह के लिए भी उपयोग किया जाएगा।


पोत की तकनीकी विशेषताएँ

इस पोत का विस्थापन 3400 टन है और इसकी लंबाई 110 मीटर है। यह अत्याधुनिक उपकरणों से लैस है, जिनमें डेटा एक्विजिशन और प्रोसेसिंग सिस्टम, ऑटोनॉमस अंडरवाटर व्हीकल, रिमोटली ऑपरेटेड व्हीकल, डीजीपीएस लॉन्ग-रेंज पोजिशनिंग सिस्टम और डिजिटल साइड स्कैन सोनार शामिल हैं। दो डीजल इंजनों से संचालित इक्षक 18 नॉट से अधिक की गति प्राप्त कर सकता है।


निर्माण और परीक्षण प्रक्रिया

इक्षक की नींव 6 अगस्त 2021 को रखी गई थी और इसे 26 नवंबर 2022 को लॉन्च किया गया। डिलीवरी से पहले, इस पोत ने बंदरगाह और समुद्र में परीक्षणों की प्रक्रिया पूरी की।


आत्मनिर्भर भारत का प्रतीक

इक्षक की लागत का 80% से अधिक स्वदेशी है, जो भारत सरकार और भारतीय नौसेना की 'आत्मनिर्भर भारत' पहल को दर्शाता है। इस पोत की डिलीवरी कई हितधारकों, लघु और मध्यम उद्यमों (एमएसएमई) और भारतीय उद्योग के सहयोग से हिंद महासागर क्षेत्र में देश की समुद्री शक्ति को बढ़ाने का प्रमाण है। विशेष रूप से, इक्षक पहला एसवीएल पोत है जिसमें महिला अधिकारियों और नाविकों के लिए आवास की सुविधा उपलब्ध है।