भारतीय मिराज-2000 की अद्भुत वापसी: एक साहसिक मिशन की कहानी
मिराज-2000 की आपातकालीन लैंडिंग
पिछले महीने, एक ब्रिटिश F-35B लड़ाकू विमान को केरल में आपात लैंडिंग करनी पड़ी। इसका हाइड्रोलिक सिस्टम ईंधन भरने के दौरान फेल हो गया था। लगभग 37 दिनों के बाद, यह विमान मंगलवार को ब्रिटेन के लिए रवाना हुआ। भारत में भी 2004 में एक ऐसा ही मामला हुआ था, जब एक मिराज 2000 लड़ाकू विमान 22 दिनों तक एक विदेशी हवाई अड्डे पर फंसा रहा।यह मिराज-2000 विमान शांति सेना एयर शो के लिए गया था, लेकिन लैंडिंग के समय इसके लैंडिंग गियर में समस्या आ गई। इस कारण, विमान को बिना लैंडिंग गियर के उतारना पड़ा, जिससे इसके कई महत्वपूर्ण हिस्से क्षतिग्रस्त हो गए। भारतीय वायु सेना ने इस विमान को वापस लाने का साहसिक निर्णय लिया।
भारत से दो विमान मॉरीशस के लिए उड़ान भर चुके थे। एक विमान में मिराज को लाने वाले इंजीनियर और पायलट थे, जबकि दूसरे विमान में ईंधन की आपूर्ति की जा रही थी। वायुसेना के इंजीनियरों ने पहले 10 दिनों में मिराज की मरम्मत कर दी थी।
22 दिनों के बाद, मिराज को भारत के लिए उड़ान भरनी थी। 26 अक्टूबर को, विमान को हिंद महासागर के ऊपर पांच घंटे उड़ान भरनी थी। यदि कोई तकनीकी खराबी आती, तो दुर्घटना निश्चित थी।
मॉरीशस से उड़ान भरते समय, ईंधन टैंक वाला विमान पहले उड़ान भरा, जबकि मिराज को कम ईंधन के साथ उड़ान भरनी थी। मिराज ने उड़ान भरी और हवा में पहली बार उसमें ईंधन भरा गया। इसके बाद, मिराज 25,000 फीट की ऊँचाई पर पहुँच गया।
तीनों विमान एक-दूसरे के संपर्क में उड़ रहे थे, और खराब मौसम के बावजूद, मिराज में हवा में तीन बार ईंधन भरा गया। अंततः, मिराज सफलतापूर्वक तिरुवनंतपुरम के उसी हवाई अड्डे पर उतरा, जहाँ ब्रिटिश F-35B उतरा था।