भारतीय रेमिटेंस ने बनाया नया रिकॉर्ड, अर्थव्यवस्था को मिली मजबूती
भारतीय रेमिटेंस ने वित्त वर्ष 2025 में $135 बिलियन का नया रिकॉर्ड स्थापित किया है, जो भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है। यह वृद्धि वैश्विक आर्थिक सुधार, कुशल श्रमिकों की मांग और अनुकूल सरकारी नीतियों का परिणाम है। यह रेमिटेंस न केवल देश के विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत करता है, बल्कि परिवारों के लिए वित्तीय सहायता भी प्रदान करता है। जानें इस उपलब्धि के पीछे के कारण और इसके अर्थव्यवस्था पर प्रभाव के बारे में।
Jul 1, 2025, 14:37 IST
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भारतीय रेमिटेंस का नया मील का पत्थर
भारतीय अर्थव्यवस्था के लिए एक नई सकारात्मक खबर आई है। वित्त वर्ष 2025 में विदेशों में कार्यरत भारतीयों द्वारा भेजी गई रेमिटेंस ने एक नया रिकॉर्ड स्थापित किया है। यह राशि $135 बिलियन तक पहुंच गई है, जो भारत की आर्थिक स्थिरता और प्रवासी भारतीयों के योगदान का स्पष्ट संकेत है।यह अभूतपूर्व वृद्धि कई कारणों से संभव हुई है:
1. **वैश्विक आर्थिक सुधार**: विभिन्न देशों में आर्थिक गतिविधियों में सुधार ने रोजगार के अवसरों में वृद्धि की है, जिससे भारतीयों की आय में भी बढ़ोतरी हुई है।
2. **कुशल श्रमिकों की मांग**: भारतीय पेशेवरों और कुशल श्रमिकों की वैश्विक स्तर पर मांग बढ़ी है।
3. **सरकारी नीतियों का समर्थन**: सरकार की नीतियों ने विदेशों से धन प्रेषण को सरल बनाया है।
यह विशाल रेमिटेंस भारत के विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत करने, भुगतान संतुलन को बनाए रखने और घरेलू खपत को बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। यह परिवारों के लिए वित्तीय सहायता भी प्रदान करता है, जिससे उनकी जीवनशैली में सुधार होता है और गरीबी में कमी आती है।
यह उपलब्धि यह दर्शाती है कि भारतीय प्रवासी न केवल विदेशों में सफलता प्राप्त कर रहे हैं, बल्कि अपनी मातृभूमि की आर्थिक प्रगति में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं। यह प्रवृत्ति भारत की वैश्विक आर्थिक स्थिति को और मजबूत करेगी और देश के वित्तीय भविष्य के लिए एक सकारात्मक संकेत है।