भारतीय रेलवे ने गरीबों के लिए नॉन-एसी सीटों की संख्या बढ़ाई

रेलवे की नई पहल
भारतीय रेलवे ने देश के गरीब और मध्यम वर्ग के यात्रियों को महत्वपूर्ण राहत प्रदान की है। रेलवे ने सभी ट्रेनों में नॉन-एसी सीटों की संख्या को बढ़ाकर 78 प्रतिशत करने का निर्णय लिया है, जबकि एसी सीटों की संख्या अब केवल 22 प्रतिशत रहेगी। यह जानकारी बुधवार को संसद में दी गई।
यात्रियों की बढ़ती संख्या
रेल मंत्री अश्विनी वैष्णव ने लोकसभा में बताया कि सामान्य अनारक्षित कोचों में यात्रा करने वाले यात्रियों की संख्या में लगातार वृद्धि हो रही है। 2022-23 में 553 करोड़ यात्रियों ने जनरल कोच में यात्रा की, जबकि 2023-24 में यह संख्या 609 करोड़ और 2024-25 में 651 करोड़ तक पहुंचने की उम्मीद है।
नए कोचों का उत्पादन
इस वर्ष विभिन्न लंबी दूरी की ट्रेनों में अब तक 1250 जनरल कोचों का उपयोग किया गया है। भारतीय रेलवे ने अगले 5 वर्षों में 17000 नए गैर-एसी (जनरल और स्लीपर) कोचों के उत्पादन का निर्णय लिया है। वर्तमान में 70 प्रतिशत कोच नॉन-एसी हैं।
अमृत भारत एक्सप्रेस
अमृत भारत की सफलता का किया बखान
रेल मंत्री ने मध्यम वर्ग और गरीबों के लिए चल रही 14 हाई स्पीड नॉन-एसी अमृत भारत एक्सप्रेस ट्रेनों का उल्लेख किया। इन ट्रेनों में 11 जनरल, 8 स्लीपर, 1 पैंट्री और 2 सामान सह दिव्यांगजन कोच शामिल हैं। ये ट्रेनें तेज गति के साथ सुरक्षा और आधुनिक सुविधाओं से लैस हैं।
सुविधाओं में सुधार
वैष्णव ने बताया कि इन ट्रेनों में सीसीटीवी कैमरे, बेहतर डिज़ाइन वाली टॉयलेट, बर्थ के लिए बेहतर सीढ़ियां, एडवांस एलईडी लाइट और चार्जिंग सॉकेट्स लगाए गए हैं।
गैर-एसी मेल और एक्सप्रेस कोचों के अलावा, भारतीय रेलवे बेहद सस्ती दरों पर गैर-एसी पैसेंजर ट्रेन, ईएमयू, और एमईएमयू ट्रेनें भी संचालित करता है।
यात्रियों की सुविधा के लिए प्रयास
वैष्णव ने कहा कि वर्तमान नीति के अनुसार 22 कोचों की मेल/एक्सप्रेस में 12 जनरल कोच और नॉन-एसी कोच तथा 8 एसी कोच होते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय रेलवे यात्रियों की सुविधा के लिए लगातार प्रयास कर रहा है।
उन्होंने कहा कि हम ट्रेनों में सफाई से लेकर यात्रियों के आराम के लिए निरंतर काम कर रहे हैं।
बायो टॉयलेट की सुविधा
सभी पैसेंजर कोच में अब बायो टॉयलेट
रेल मंत्री ने संसद में बताया कि अब सभी पैसेंजर कोचों में बायो टॉयलेट लगाए गए हैं, जिससे मानव मलमूत्र पटरियों पर नहीं गिरता और प्लेटफार्मों और स्टेशनों को साफ रखने में मदद मिलती है। इसके अलावा, देश के बड़े स्टेशनों और यात्रा के दौरान ट्रेनों में मशीनों के जरिए सफाई ने यात्रा को उच्च स्तर की स्वच्छता प्रदान की है।