भारतीय वायु सेना के हमले के बाद लश्कर-ए-तैयबा का पुनर्निर्माण अभियान शुरू

भारतीय वायु सेना का सटीक हवाई हमला
7 मई को पाकिस्तानी समयानुसार सुबह 12:35:22 पर भारतीय वायु सेना ने पाकिस्तान के मुरीदके में लश्कर-ए-तैयबा (LeT) के मुख्यालय मरकज तैयबा पर एक सटीक हवाई हमला किया। इस हमले का लक्ष्य तीन प्रमुख इमारतें थीं, जो आतंकवादियों द्वारा पिछले 25 वर्षों से हथियारों के भंडारण, प्रशिक्षण केंद्र और आवास के रूप में उपयोग की जा रही थीं।
हमले के परिणामस्वरूप हुई क्षति
हमले के दौरान एक दो मंजिला लाल इमारत पूरी तरह से नष्ट हो गई, जबकि दो पीली इमारतें भी गंभीर रूप से क्षतिग्रस्त हुईं। इनमें से एक इमारत लश्कर के शीर्ष कमांडरों के प्रशिक्षण और निवास के लिए उपयोग की जाती थी। अब केवल इन इमारतों के खंडहर ही बचे हैं, जो हमले की तीव्रता को दर्शाते हैं।
पुनर्निर्माण कार्य की शुरुआत
सूत्रों के अनुसार, 18 अगस्त से लश्कर-ए-तैयबा ने क्षतिग्रस्त इमारतों को गिराने के लिए जेसीबी मशीनों का उपयोग करना शुरू किया। 4 सितंबर को उम्म-उल-क़ुरा की पीली इमारत को पूरी तरह ध्वस्त कर दिया गया, इसके बाद लाल रंग की तीन मंजिला इमारत को भी गिरा दिया गया, जिसमें आतंकवादी और हथियार रखे गए थे।
पाकिस्तान सरकार की भूमिका
7 से 10 मई तक चले संघर्ष के बाद, पाकिस्तान सरकार ने सार्वजनिक रूप से घोषणा की कि वह लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के क्षतिग्रस्त मुख्यालयों का पुनर्निर्माण करेगी। 18 अगस्त से शुरू हुए ध्वंस अभियान के बाद, लश्कर ने प्रमुख इमारतों को ध्वस्त करना शुरू किया और 20 अगस्त तक उम्म-उल-कुरा के कई हिस्से गिरा दिए।
पुनर्निर्माण का लक्ष्य
सूत्रों के अनुसार, 7 सितंबर तक उम्म-उल-क़ुरा के ध्वंस का कार्य पूरा हो चुका है और मलबा हटाने का कार्य भी जल्द समाप्त होगा। इसके बाद नए भवनों का निर्माण शुरू होगा। पाकिस्तान सरकार और लश्कर-ए-तैयबा दोनों इस बात पर सहमत हैं कि पुनर्निर्मित मुख्यालय का कम से कम एक हिस्सा 5 फरवरी 2026 से पहले तैयार हो। यह तारीख लश्कर के लिए विशेष महत्व रखती है, क्योंकि हर साल इसी दिन कश्मीर-केंद्रित जिहाद कार्यक्रम आयोजित किया जाता है।
पुनर्निर्माण की निगरानी
खुफिया सूत्रों के अनुसार, मरकज तैयबा के निदेशक और लश्कर के मुख्य प्रशिक्षक मौलाना अबू जार तथा कमांडर यूनुस शाह बुखारी की देखरेख में पुनर्निर्माण कार्य चल रहा है। हमले के बाद लश्कर ने अपने कैडर प्रशिक्षण और आवास सुविधाएं पहले बहावलपुर के मरकज़ अक्सा में स्थानांतरित की थीं। जुलाई से ये सुविधाएं कसूर जिले के पटोकी में मरकज यारमौक में शिफ्ट कर दी गई हैं।
इस प्रकार, भारतीय वायु सेना के सटीक हमले के बाद लश्कर-ए-तैयबा को अपने ठिकानों के पुनर्निर्माण के लिए पाकिस्तान सरकार की मदद लेनी पड़ रही है। 2026 के महत्वपूर्ण जिहाद कार्यक्रम के लिए वे फिर से तैयार हो रहे हैं, जबकि भारत लगातार आतंकवाद के खिलाफ सख्त कदम उठा रहा है।