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भारतीय वायुसेना का 93वां स्थापना दिवस: जानें इसके इतिहास और महत्व

भारतीय वायुसेना आज 8 अक्टूबर 2025 को अपना 93वां स्थापना दिवस मना रही है। इस अवसर पर गाजियाबाद के हिंडन एयर फोर्स स्टेशन पर भव्य समारोह का आयोजन किया गया, जिसमें एयर शो और परेड शामिल थे। भारतीय वायुसेना की वैश्विक पहचान, एयर चीफ का संदेश और इसके आदर्श वाक्य के बारे में जानें। यह लेख वायुसेना के इतिहास और इसके महत्व को भी उजागर करता है।
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भारतीय वायुसेना का 93वां स्थापना दिवस: जानें इसके इतिहास और महत्व

भारतीय वायुसेना दिवस का उत्सव

Indian Air Force Day: भारतीय वायुसेना आज 8 अक्टूबर 2025 को अपने 93वें स्थापना दिवस का जश्न मना रही है। इसकी स्थापना 8 अक्टूबर 1932 को हुई थी, और तब से हर साल इस दिन को धूमधाम से मनाया जाता है। इस अवसर पर वायुसेना अपनी शक्ति, साहस और पेशेवर कौशल का प्रदर्शन करती है। इस वर्ष का समारोह गाजियाबाद के हिंडन एयर फोर्स स्टेशन पर आयोजित किया गया, जिसमें भव्य परेड और एयर शो का आयोजन किया गया, जिसमें लड़ाकू विमानों और हेलीकॉप्टरों ने अद्भुत हवाई करतब दिखाए।


भारतीय वायुसेना की वैश्विक पहचान

भारतीय वायुसेना विश्व की चौथी सबसे बड़ी वायुसेना है, जो अमेरिका, चीन और रूस के बाद आती है। यह न केवल युद्ध के समय देश की सुरक्षा सुनिश्चित करती है, बल्कि प्राकृतिक आपदाओं और राहत कार्यों में भी महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। इसके अतिरिक्त, वायुसेना अंतरराष्ट्रीय शांति अभियानों में भी सक्रिय रहती है और संकट के समय भारतीय नागरिकों को सुरक्षित निकालने में मदद करती है।


एयर चीफ का संदेश

एयरफोर्स डे के अवसर पर वायु सेना प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए.पी. सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर भारत की स्वदेशी क्षमताओं और सशस्त्र बलों के बीच सामंजस्य का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। उन्होंने यह भी कहा कि भारतीय वायुसेना अपनी क्षमताओं को बढ़ाते हुए, नवाचार को अपनाकर और व्यावसायिकता के उच्चतम मानकों को बनाए रखते हुए देश की रक्षा करती रहेगी।


भारतीय वायुसेना का आदर्श वाक्य

भारतीय वायुसेना का आदर्श वाक्य है 'नभ: स्पृशं दीप्तम', जो भगवद गीता के 11वें अध्याय से लिया गया है। यह महाभारत के युद्ध के दौरान भगवान श्री कृष्ण द्वारा अर्जुन को दिए गए उपदेश का हिस्सा है और वायुसेना के साहस और कर्तव्य का प्रतीक है।


इतिहास और स्थापना

स्वतंत्रता से पहले, भारतीय वायुसेना को रॉयल इंडियन एयरफोर्स (RIAF) कहा जाता था। 1 अप्रैल 1933 को इसका पहला दस्ता गठित हुआ, जिसमें 6 ट्रेनिंग ऑफिसर और 19 हवाई सैनिक शामिल थे। स्वतंत्रता के बाद इसका नाम बदलकर भारतीय वायुसेना रखा गया। द्वितीय विश्व युद्ध के दौरान भी इसने महत्वपूर्ण योगदान दिया।


आजादी से पहले, वायुसेना आर्मी के अधीन कार्य करती थी और इसे स्वतंत्र बनाने का श्रेय पहले कमांडर इन चीफ एयर मार्शल सर थॉमस डब्ल्यू एल्महर्स्ट को जाता है। स्वतंत्रता के बाद, वह 15 अगस्त 1947 से 22 फरवरी 1950 तक भारतीय वायुसेना के पहले प्रमुख रहे।


वायुसेना का ध्वज

भारतीय वायुसेना का ध्वज नीले रंग का है, जिसमें ऊपरी चौथाई हिस्से में राष्ट्रीय ध्वज और बीच में राष्ट्रीय रंगों (केसरिया, श्वेत और हरे) से बना वृत्त है। यह ध्वज 1951 में अपनाया गया और यह वायुसेना की पहचान और सम्मान का प्रतीक है।