भारतीय वायुसेना का ऑपरेशन सिंदूर: पाकिस्तानी विमान को 300 किमी दूर से गिराया

भारतीय वायुसेना की ऐतिहासिक उपलब्धि
एयर चीफ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने शनिवार को बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान भारतीय वायुसेना ने एक बड़े पाकिस्तानी विमान को 300 किलोमीटर की दूरी से सफलतापूर्वक नष्ट किया। यह घटना सतह से हवा में मार करने की श्रेणी में अब तक की सबसे लंबी दूरी की मानी जा रही है। यह विमान संभवतः ELINT (इलेक्ट्रॉनिक इंटेलिजेंस) या AEW&C (एयरबोर्न अर्ली वार्निंग एंड कंट्रोल) प्रणाली से लैस था।
पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों का विनाश
बेंगलुरु में एक कार्यक्रम में बोलते हुए, एयर चीफ मार्शल ने पुष्टि की कि इस ऑपरेशन के दौरान भारत ने कुल पांच पाकिस्तानी लड़ाकू विमानों को भी गिराया। यह कार्रवाई जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में 22 अप्रैल को हुए आतंकवादी हमले के बाद की गई थी, जिसमें 26 लोगों की जान गई थी।
एफ-16 हैंगर को नुकसान
उन्होंने यह भी बताया कि पाकिस्तान के शाहबाज जैकोबाबाद एयरबेस पर एफ-16 लड़ाकू विमानों के हैंगर का आधा हिस्सा नष्ट हो गया और कुछ विमानों को भी नुकसान पहुँचा। इससे पाकिस्तान की वायु रक्षा प्रणाली को गंभीर झटका लगा है।
उच्च तकनीकी युद्ध का अनुभव
एयर चीफ मार्शल सिंह ने ऑपरेशन को 'उच्च तकनीक वाला युद्ध' बताया, जिसमें 80 से 90 घंटे के भीतर पाकिस्तान की वायुसेना को इतना नुकसान पहुँचाया गया कि उसे यह समझ में आ गया कि अगर संघर्ष जारी रहा, तो उसे और बड़ी कीमत चुकानी पड़ेगी।
राजनीतिक इच्छाशक्ति का महत्व
सिंह ने ऑपरेशन की सफलता का श्रेय स्पष्ट राजनीतिक इच्छाशक्ति को दिया। उनके अनुसार, सेनाओं को स्पष्ट निर्देश मिले और किसी भी प्रकार की पाबंदी नहीं लगाई गई। योजना बनाने और उसे लागू करने की पूरी स्वतंत्रता दी गई। उन्होंने कहा, 'हमारे हमले सोच-समझकर किए गए क्योंकि हम परिपक्व प्रतिक्रिया देना चाहते थे।'
तीनों सेनाओं का समन्वय
उन्होंने आगे बताया कि थल, जल और वायु—तीनों सेनाओं के बीच उत्कृष्ट समन्वय था। चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (सीडीएस) की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण रही, जिसने सभी बलों को एकजुट किया। राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (एनएसए) ने भी सभी एजेंसियों के बीच तालमेल बिठाने में महत्वपूर्ण योगदान दिया।
ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत
7 मई की सुबह भारत ने ऑपरेशन सिंदूर की शुरुआत की। सेना ने पाकिस्तान और पाक अधिकृत कश्मीर (पीओके) में मौजूद नौ आतंकी शिविरों पर हमला किया, जिसमें 100 से अधिक आतंकवादी मारे गए। यह 22 अप्रैल के आतंकवादी हमले का प्रत्यक्ष जवाब था।
चार दिन तक चला हमला और जवाबी हमला
ऑपरेशन के बाद चार दिनों तक दोनों देशों के बीच ड्रोन, मिसाइल और लंबी दूरी के हथियारों से हमले होते रहे। अंततः 10 मई को दोनों पक्षों ने सभी सैन्य कार्रवाई रोकने पर सहमति जताई।