भारतीय वायुसेना का नया कदम: जगुआर जेट्स के लिए 56 रडार जैमर की खरीद

भारतीय वायुसेना का नया कदम
भारतीय वायुसेना का बड़ा कदम: जगुआर जेट्स के लिए 56 रडार जैमर की खरीद! नई दिल्ली: भारतीय वायुसेना (IAF) अपने इलेक्ट्रॉनिक युद्ध कौशल को और मजबूत करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाने जा रही है।
IAF ने अपने उन्नत जगुआर डारिन-III विमानों के लिए 56 रडार वार्नर जैमर (RWJ) पॉड्स खरीदने की योजना बनाई है। यह निर्णय न केवल वायुसेना की क्षमता को बढ़ाएगा, बल्कि दुश्मनों के लिए भी एक बड़ी चुनौती पेश करेगा। आइए इस महत्वपूर्ण खबर की विस्तृत जानकारी लेते हैं।
पुराने जेट्स को नया जीवन
सूत्रों के अनुसार, इन RWJ पॉड्स की खरीद की लागत सैकड़ों करोड़ रुपये हो सकती है, जिसमें ग्राउंड सपोर्ट और ऑपरेशनल उपकरण भी शामिल होंगे।
भारत अपने पुराने जगुआर जेट्स को आधुनिक बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रहा है। इसका उद्देश्य है कि ये प्रभावशाली स्ट्राइक जेट्स 2030 के दशक तक दुश्मनों का सामना करने के लिए पूरी तरह तैयार रहें।
डारिन-III अपग्रेड के लाभ
2013 से चल रहा डारिन-III अपग्रेड प्रोग्राम जगुआर जेट्स में नई जान फूंक रहा है। हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) की अगुवाई में इन जेट्स में ओपन-सिस्टम आर्किटेक्चर मिशन कंप्यूटर, मल्टीपल डिस्प्ले, इजराइल का EL/M-2052 एक्टिव इलेक्ट्रॉनिकली स्कैन्ड एरे (AESA) रडार और भविष्य में उत्तम AESA रडार जैसे उन्नत फीचर्स जोड़े जा रहे हैं। ये अपग्रेड 200 किलोमीटर तक मल्टी-टारगेट ट्रैकिंग की क्षमता प्रदान करते हैं।
RWJ पॉड्स की आवश्यकता
यह अपग्रेड जगुआर की उम्र को 2035 के बाद तक बढ़ाएगा और इसे बख्तरबंद ठिकानों, हवाई क्षेत्रों और समुद्री लक्ष्यों पर हमला करने में सक्षम बनाएगा।
हालांकि, चीन के J-20 या पाकिस्तान के संभावित J-35 जैसे दुश्मनों के रडारों का मुकाबला करने के लिए मजबूत इलेक्ट्रॉनिक काउंटरमेजर्स (ECM) की आवश्यकता है। यही कारण है कि IAF RWJ पॉड्स पर जोर दे रहा है।
RWJ पॉड्स का महत्व
RWJ पॉड्स जगुआर को दुश्मन के रडार सिग्नल्स को पकड़ने, पहचानने और बाधित करने की क्षमता प्रदान करेंगे। यह इलेक्ट्रॉनिक युद्ध मिशनों में एक गेम-चेंजर साबित हो सकता है। इसके साथ, IAF पुराने जेट्स के माध्यम से भी दुश्मनों के लिए चुनौतियाँ उत्पन्न कर सकती है और सुरक्षित हमले कर सकती है।