Newzfatafatlogo

भारतीय वायुसेना प्रमुख की चिंता: तेजस LCA की डिलीवरी में देरी

दिल्ली में आयोजित CII बिजनेस समिट में भारतीय वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह ने तेजस LCA की डिलीवरी में हो रही देरी पर अपनी नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने बताया कि वायुसेना को 42 फाइटर स्क्वाड्रन की आवश्यकता है, जबकि वर्तमान में केवल 31 स्क्वाड्रन उपलब्ध हैं। नए विमानों की आपूर्ति में देरी से सुरक्षा खतरे बढ़ रहे हैं। जानें इस मुद्दे की गंभीरता और वायुसेना की भविष्य की योजनाओं के बारे में।
 | 

CII बिजनेस समिट में एयर चीफ मार्शल की नाराजगी

दिल्ली में हाल ही में आयोजित CII बिजनेस समिट में भारतीय वायुसेना के प्रमुख एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह ने अपनी नाराजगी व्यक्त की। उन्होंने स्पष्ट रूप से कहा कि जब किसी कॉन्ट्रैक्ट में समय सीमा निर्धारित की जाती है, तो उसका पालन होना चाहिए। यह बयान केवल औपचारिक नाराजगी नहीं था, बल्कि यह एक गंभीर चिंता और निराशा का संकेत था जो भारतीय वायुसेना के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण है। हालांकि उन्होंने किसी विशेष व्यक्ति का नाम नहीं लिया, लेकिन यह स्पष्ट था कि उनकी नाराजगी तेजस LCA मार्क 1A की डिलीवरी में हो रही देरी को लेकर थी।


फाइटर स्क्वाड्रन की कमी और सुरक्षा चुनौतियाँ

भारतीय वायुसेना की सबसे बड़ी समस्या वर्तमान में फाइटर स्क्वाड्रन की कमी है। मौजूदा सुरक्षा जरूरतों के अनुसार, वायुसेना को 42 फाइटर स्क्वाड्रन की आवश्यकता है, जबकि वर्तमान में केवल 31 स्क्वाड्रन उपलब्ध हैं। यही कारण है कि नए लड़ाकू विमानों की आपूर्ति में देरी पर एयर चीफ की चिंता स्वाभाविक है। नए विमानों की धीमी गति से 31 स्क्वाड्रन को 42 तक पहुंचाने में कम से कम 15 साल लग सकते हैं, जो कि हमारे बढ़ते सुरक्षा खतरों के संदर्भ में बहुत लंबा है।


तेजस LCA मार्क 1A: देरी और चुनौतियाँ

भारतीय वायुसेना के लिए स्वदेशी रूप से निर्मित लाइट कॉम्बैट एयरक्राफ्ट (LCA) तेजस की डिलीवरी की बात करें तो 83 तेजस मार्क 1A के लिए 2021 में रक्षा मंत्रालय से करार हो चुका है। इन विमानों से चार स्क्वाड्रन बनाए जाने थे। डिलीवरी मार्च 2024 से शुरू होनी थी, लेकिन अब तक एक भी विमान नहीं मिला है। इस प्रोजेक्ट की कुल लागत लगभग 48,000 करोड़ रुपये है। 83 विमानों के अलावा 97 और विमानों के लिए भी मंजूरी दी जा चुकी है, जिससे कुल 11 स्क्वाड्रन बनने हैं। तेजस के दो स्क्वाड्रन तो बन चुके हैं, लेकिन बाकी नौ अब भी रास्ते में हैं।


वायुसेना का मौजूदा बेड़ा और भविष्य

अगर हम भविष्य की बात करें, तो 2035 तक पुराने विमान जैसे मिग-21, मिग-29 और जैगुआर क्रमशः सेवा से बाहर हो जाएंगे। वर्तमान में मिग-21 और मिग-27 के कई स्क्वाड्रन पूरी तरह से सेवा से बाहर हो चुके हैं। मिग-29 और मिराज 2000 के अपग्रेडेड स्क्वाड्रन कुछ हद तक इस कमी को पूरा कर रहे हैं, लेकिन तेजस जैसे नए विमान ही भविष्य की जरूरतों को पूरा कर सकते हैं। वायुसेना के पास वर्तमान में सबसे ज्यादा सुखोई 30 विमान हैं (लगभग 250) और 36 राफेल भी सेवा में हैं। इसके अलावा 114 मल्टी-रोल फाइटर एयरक्राफ्ट (MRFA) की खरीद की भी तैयारी चल रही है।


HAL का वादा और इंजन डिलीवरी का संकट

फरवरी 2024 में HAL के CMD ने कहा था कि अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक (GE) इस साल मार्च तक पहला इंजन सप्लाई कर देगी और इस कैलेंडर वर्ष में कुल 12 इंजन उपलब्ध कराए जाएंगे। उन्होंने यह भी दावा किया था कि 2031 तक 83 तेजस मार्क 1A विमान डिलीवर हो जाएंगे। अब मार्च 2025 में GE ने पहला इंजन डिलीवर कर दिया है, जिससे दो साल से लंबित इंजन की कमी को दूर करने की उम्मीद जगी है। कुल 99 F404 इंजन की सप्लाई की डील 2021 में GE के साथ हुई थी, जो इस प्रोजेक्ट के लिए निर्णायक है। इंजन की डिलीवरी में हो रही देरी से तेजस प्रोग्राम कई बार प्रभावित हुआ है।


सुरक्षा के लिए गंभीर मुद्दा

फाइटर स्क्वाड्रन की कमी और नए विमानों की देरी सीधे तौर पर देश की सुरक्षा से जुड़ा मामला है। तेजस LCA जैसे स्वदेशी विमान ही भविष्य में भारतीय वायुसेना की रीढ़ होंगे। एयर चीफ मार्शल ए पी सिंह की नाराजगी इस बात का प्रतिबिंब है कि वायुसेना कितनी गंभीर स्थिति का सामना कर रही है। उनकी मांग है कि जो वादा किया गया है, उसे समय पर पूरा किया जाए ताकि वायुसेना की तैयारियां सुचारू रूप से चल सकें।