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भारतीय सेना की अपाचे हेलीकॉप्टर स्क्वाड्रन की डिलीवरी में देरी: जानें कारण

भारतीय सेना ने मार्च 2024 में जोधपुर में अपनी पहली अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर स्क्वाड्रन की स्थापना की थी, लेकिन अब तक यह संचालन में नहीं आ सकी है। अमेरिका से हेलीकॉप्टरों की डिलीवरी में हो रही देरी के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है। जानें इस देरी के पीछे के कारण और भारतीय सेना की आक्रामक क्षमताओं पर इसके प्रभाव के बारे में।
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भारतीय सेना की अपाचे हेलीकॉप्टर स्क्वाड्रन की डिलीवरी में देरी: जानें कारण

अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर स्क्वाड्रन की स्थापना

भारतीय सेना ने मार्च 2024 में जोधपुर के नागतलाओ में अपनी पहली अपाचे अटैक हेलीकॉप्टर स्क्वाड्रन की स्थापना की थी। हालांकि, पंद्रह महीने बीत जाने के बाद भी यह स्क्वाड्रन अभी तक संचालन में नहीं आ सकी है। इसका मुख्य कारण अमेरिका से अपाचे AH-64E हेलीकॉप्टरों की डिलीवरी में हो रही लगातार देरी है.


हेलीकॉप्टरों की डिलीवरी में देरी

2020 में अमेरिका के साथ हुए लगभग 600 मिलियन डॉलर के सौदे के तहत भारतीय सेना को छह अपाचे हेलीकॉप्टर मिलने थे। प्रारंभिक योजना के अनुसार, पहले तीन हेलीकॉप्टर मई-जून 2024 तक भारत पहुंचने थे। लेकिन आपूर्ति श्रृंखला में बाधाओं के कारण यह समयसीमा अब दिसंबर 2024 तक बढ़ा दी गई है। अब तक यह नई समयसीमा भी पार हो चुकी है, और हेलीकॉप्टर अभी तक भारत नहीं पहुंचे हैं.


डिलीवरी में देरी के कारण

रक्षा मंत्रालय से जुड़े सूत्रों के अनुसार, इस देरी का मुख्य कारण अमेरिका की ओर से आ रहे तकनीकी मुद्दे हैं। यह ध्यान देने योग्य है कि भारतीय सेना के पायलट और ग्राउंड स्टाफ पहले ही प्रशिक्षण पूरा कर चुके हैं और ऑपरेशन के लिए तैयार हैं, लेकिन उनके पास अभी तक हेलीकॉप्टर नहीं हैं.


अपाचे की अनुपस्थिति का प्रभाव

भारतीय वायुसेना को 2015 में 22 अपाचे हेलीकॉप्टर मिल चुके हैं, जिससे भारतीय सेना की अपेक्षाएं और भी बढ़ गई हैं। ये उन्नत हेलीकॉप्टर युद्ध में हमले और टोही के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण माने जाते हैं, विशेषकर पश्चिमी सीमाओं पर बढ़ते तनाव के संदर्भ में.


एक रणनीतिक कमी

भारतीय सेना विमानन कोर पहले से ही ALH ध्रुव, रुद्र, LCH, चेतक, चीता, MI-17 और UAV जैसे हेरॉन और सर्चर से लैस है, लेकिन अपाचे की अनुपस्थिति एक रणनीतिक कमी मानी जा रही है। हाल ही में आतंकी हमलों के बाद सतर्कता बढ़ने के कारण, अपाचे की डिलीवरी में देरी सेना की आक्रामक क्षमताओं को प्रभावित कर रही है.