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भारतीय सेना की नई एडवाइजरी: मीडिया को सावधानी बरतने की सलाह

भारतीय सेना ने मीडिया और आम जनता के लिए एक नई एडवाइजरी जारी की है, जिसमें सैन्य अधिकारियों की कवरेज के दौरान सावधानी बरतने की सलाह दी गई है। इस एडवाइजरी में अधिकारियों के परिवारों की जानकारी साझा न करने और इंटरव्यू के लिए आमंत्रित होने की आवश्यकता पर जोर दिया गया है। हालांकि, यह सवाल उठता है कि क्या यह दिशा-निर्देश सेना और सरकार पर भी लागू नहीं होते। जानें इस एडवाइजरी के पीछे के कारण और सेना की पारदर्शिता पर उठते सवाल।
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भारतीय सेना की नई एडवाइजरी: मीडिया को सावधानी बरतने की सलाह

सेना की एडवाइजरी का महत्व

भारतीय सेना ने मीडिया और आम जनता के लिए एक नई एडवाइजरी जारी की है, जिसमें यह स्पष्ट किया गया है कि सैन्य अधिकारियों की कवरेज करते समय सावधानी बरतनी चाहिए। इसमें कहा गया है कि अधिकारियों के निवास स्थान या उनके परिवार के बारे में जानकारी साझा करने की आवश्यकता नहीं है। इसके अलावा, मीडिया कर्मियों और इन्फ्लूएंसर्स को अधिकारियों के इंटरव्यू से बचने की सलाह दी गई है। केवल तब ही इंटरव्यू या खबरें करें जब उन्हें इसके लिए आमंत्रित किया जाए। यह स्पष्ट है कि मीडिया को जिम्मेदारी से कार्य करना चाहिए, लेकिन इस मामले में भारतीय मीडिया, विशेषकर टेलीविजन चैनल, ने अपनी जिम्मेदारियों को निभाने में कमी दिखाई है।


सेना की पारदर्शिता पर सवाल

हालांकि, यह सवाल उठता है कि क्या यह एडवाइजरी सेना और सरकार पर भी लागू नहीं होनी चाहिए? क्या भाजपा और उसके नेताओं के लिए अलग से कोई एडवाइजरी जारी करने की आवश्यकता नहीं है? यह सवाल इसलिए महत्वपूर्ण है क्योंकि सेना ने खुद कई जानकारियाँ साझा की हैं। उदाहरण के लिए, सेना ने पाकिस्तान के खिलाफ की गई कार्रवाइयों के बारे में कई वीडियो जारी किए हैं। इसके अलावा, महिला अधिकारियों के नाम भी सार्वजनिक किए गए हैं, जिन्होंने सीमा पर चौकसी की और कार्रवाई का नेतृत्व किया। यह जानना आवश्यक है कि क्या ऐसे नामों का खुलासा करना उचित था, खासकर जब अमेरिका ने ओसामा बिन लादेन को मारने वाली नेवी सील टीम के सदस्यों के नाम कई वर्षों तक गुप्त रखे थे।


सेना की छवि और राजनीतिक नैरेटिव

कर्नल सोफिया कुरैशी और विंग कमांडर व्योमिका सिंह की प्रेस कॉन्फ्रेंस का आयोजन एक अच्छा विचार था, लेकिन कर्नल सोफिया के परिवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के रोड शो में बुलाना एक विवादास्पद कदम था। इससे न केवल सेना की तटस्थता को नुकसान पहुंचा, बल्कि सैनिकों के परिवारों की निजता का भी उल्लंघन हुआ। इसके अलावा, मध्य प्रदेश के मंत्री और हरियाणा के सांसदों के बयान भी मीडिया कवरेज से अधिक विवादास्पद रहे। हालाँकि, सरकार ने समय रहते इस मुद्दे पर विचार किया और महिला अधिकारियों की तस्वीरों का विज्ञापन में उपयोग करने से बचने का निर्णय लिया। इसलिए, मीडिया के साथ-साथ केंद्र सरकार और भाजपा के लिए भी एक एडवाइजरी की आवश्यकता है।