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भारतीय सेना की नई रणनीति: 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद युद्ध क्षमता में सुधार

भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के सफल समापन के बाद अपनी युद्ध क्षमताओं को और मजबूत करने की योजना बनाई है। जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने करगिल विजय दिवस पर इस योजना का विस्तृत विवरण साझा किया, जिसमें नई ब्रिगेड और बटालियनों का गठन, ड्रोन प्लाटून का समावेश और आर्टिलरी में सुधार शामिल हैं। ये सभी कदम सेना को भविष्य के युद्धों के लिए तैयार करने के उद्देश्य से उठाए जा रहे हैं। जानें इस नई रणनीति के बारे में और कैसे ये सेना की ताकत को बढ़ाएंगे।
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भारतीय सेना की नई रणनीति: 'ऑपरेशन सिंदूर' के बाद युद्ध क्षमता में सुधार

भारतीय सेना की नई युद्ध रणनीति

भारतीय सेना ने 'ऑपरेशन सिंदूर' के सफल समापन के बाद अपनी युद्ध क्षमताओं को और मजबूत करने की योजना बनाई है। चीन और पाकिस्तान की सीमाओं पर बढ़ती चुनौतियों को देखते हुए, सेना ने रणनीतिक बदलावों के माध्यम से भविष्य के युद्धों के लिए खुद को तैयार करने का निर्णय लिया है। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने करगिल विजय दिवस पर इस योजना का विस्तृत विवरण साझा किया, जिसमें सीमाओं को सुरक्षित बनाने के लिए कई महत्वपूर्ण सुधारों की घोषणा की गई।


'रूद्र', 'भैरव' और 'शक्तिबाण' का गठन

इन सुधारों के तहत, सेना 'रूद्र' ऑल-आर्म्स ब्रिगेड, 'भैरव' लाइट कमांडो बटालियन और 'शक्तिबाण' आर्टिलरी रेजीमेंट का गठन कर रही है। इसके अलावा, सभी इन्फैंट्री बटालियनों को ड्रोन प्लाटून से लैस किया जा रहा है, जिससे तकनीकी युद्ध में बढ़त हासिल की जा सके।


ताबड़तोड़ प्रहार के लिए तैयार

जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि नई ब्रिगेड और बटालियन के गठन से सेना की शक्ति में कई गुना वृद्धि होगी। रूद्र ब्रिगेड में इन्फैंट्री, मैकेनाइज्ड इन्फैंट्री, टैंक यूनिट, आर्टिलरी, स्पेशल फोर्सेज और UAVs को एकत्रित किया जाएगा, जिससे ऑपरेशन अधिक तेज और प्रभावी होंगे। भैरव लाइट कमांडो यूनिट्स को अत्याधुनिक हथियारों से लैस किया जा रहा है, ताकि वे दुश्मन को चौंका सकें।


आर्टिलरी में 'दिव्यास्त्र' का समावेश

'शक्तिबाण' रेजीमेंट्स के साथ, तोपखाने की मारक क्षमता में भी उल्लेखनीय वृद्धि होगी। इन रेजीमेंट्स में 'दिव्यास्त्र' निगरानी प्रणाली और लोइटरिंग म्यूनिशन बैटरियों को जोड़ा जाएगा, जिससे आर्टिलरी को रियल-टाइम टारगेटिंग में मदद मिलेगी।


ड्रोन प्लाटून का समावेश

भारतीय सेना अब ड्रोन युद्ध की वास्तविकताओं को स्वीकार कर रही है। 400 से अधिक इन्फैंट्री बटालियनों को ड्रोन प्लाटून से लैस किया जा रहा है, ताकि किसी भी ऑपरेशन में आधुनिक तकनीक का पूरा उपयोग किया जा सके। सेना की वायु सुरक्षा प्रणाली को भी नई ऊंचाइयों पर ले जाया जा रहा है।


रणनीतिक पुनर्गठन

सेना में नई भर्ती नहीं होगी, बल्कि मौजूदा 250 से अधिक सिंगल-आर्म ब्रिगेड्स को ऑल-आर्म ब्रिगेड्स में परिवर्तित किया जाएगा। इससे सेना के हर फॉर्मेशन को लड़ाई के हर मोर्चे पर आत्मनिर्भर बनाया जाएगा।


पहले से कार्यरत 'रूद्र' ब्रिगेड

सेना के अधिकारियों के अनुसार, दो रूद्र ब्रिगेड पहले से ही कार्यरत हैं। ये ब्रिगेड्स सीमाओं पर विशिष्ट जिम्मेदारियों के साथ तैनात की गई हैं। भविष्य में इन्फैंट्री यूनिट्स को आधार बनाकर 40 से 50 भैरव लाइट कमांडो बटालियन तैयार की जाएंगी।