भारतीय सेना ने कश्मीर में लॉजिस्टिक्स में नया मील का पत्थर स्थापित किया
सेना की नई उपलब्धि: लॉजिस्टिक्स में सुधार
नई दिल्ली: भारतीय सेना ने 16 दिसंबर 2025 को कश्मीर घाटी में एक महत्वपूर्ण लॉजिस्टिक्स उपलब्धि हासिल की है। मिलिट्री स्पेशल ट्रेन के माध्यम से जम्मू से अनंतनाग तक भारी सैन्य उपकरण जैसे टैंक, आर्टिलरी गन और डोज़र सफलतापूर्वक भेजे गए हैं, जिससे उत्तरी सीमाओं पर तैनाती और ऑपरेशनल तैयारियों में मजबूती आई है। यह कदम सड़क परिवहन पर निर्भरता को कम करते हुए रेल के जरिए त्वरित लॉजिस्टिक्स क्षमता का प्रदर्शन करता है।
ट्रेन के माध्यम से तैनाती: एक ऐतिहासिक पहल
सेना के एडीजीपीआई ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'X' पर जानकारी साझा की कि यह पहल यूधम्पुर–श्रीनगर–बरामुला रेल लिंक (USBRL) परियोजना के सहयोग से संभव हुई। इस रेल कॉरिडोर के माध्यम से भारी सैन्य उपकरणों का परिवहन न केवल तेज, बल्कि सुरक्षित और प्रभावी भी साबित हुआ है।
ट्रेन में लाए गए टैंक, आर्टिलरी गन और डोज़र को जम्मू क्षेत्र से अनंतनाग तक पहुंचाया गया, जिससे सेना की संचालन क्षमता और उत्तर में तैनाती की गति में वृद्धि हुई है। यह कदम लॉजिस्टिक्स में सुधार के साथ-साथ निरंतर तैयारियों पर भी जोर देता है।
USBRL का महत्व
USBRL परियोजना केवल एक सामान्य रेलवे लाइन नहीं है, बल्कि यह जम्मू-कश्मीर को पूरे देश से जोड़ने के साथ-साथ सैन्य और नागरिक आवश्यकताओं के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण साबित हुई है। इस रेल लाइन के माध्यम से भारी उपकरणों को मौसम या कठिन भूभाग के बावजूद वर्षभर कहीं भी जल्दी पहुंचाया जा सकता है। इससे सीमावर्ती क्षेत्रों में आवश्यक संसाधनों और तैयारियों को मजबूत करने में मदद मिलेगी।
विशेष रूप से चिनाब ब्रिज और अंजी खद ब्रिज जैसे इंजीनियरिंग चमत्कार इस रेल लिंक का हिस्सा हैं, जो कठिन हिमालयी भूभाग में भी सभी मौसम में कनेक्टिविटी प्रदान करते हैं। यह सुविधा सड़क मार्ग की तुलना में कहीं अधिक भरोसेमंद है, खासकर भारी मशीनरी के परिवहन के लिए।
लॉजिस्टिक्स और तैयारियों में सुधार
सेना ने इस कार्य को वैदेशन एक्सरसाइज के रूप में पूरा किया, जिसमें यह पता चला कि रेल के माध्यम से टैंक्स और तोपों को बिना किसी परेशानी के घाटी तक पहुंचाया जा सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यह कदम जवानों के लिए लॉजिस्टिक्स चुनौतियों को कम करेगा और आपात स्थितियों में त्वरित प्रतिक्रिया को संभव बनाएगा।
इससे पहले इस वर्ष सेना ने इसी रेल लिंक के जरिए सर्दियों के लिए आवश्यक सामान भी कश्मीर में पहुंचाया था, जो एक और महत्वपूर्ण उदाहरण है कि रेल नेटवर्क का उपयोग कैसे डिफेंस और नागरिक जरूरतों दोनों में किया जा सकता है।
रणनीतिक और नागरिक लाभ
विश्लेषकों का मानना है कि USBRL की यह उपयोगिता स्पष्ट रूप से दिखाती है कि राष्ट्रीय अवसंरचना परियोजनाओं का लाभ केवल यात्री यातायात तक सीमित नहीं है, बल्कि इससे राष्ट्रीय सुरक्षा, तैनात सेनाओं की क्षमता, और स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी समर्थन मिलता है। राहत सामग्री, कृषि उत्पाद और भारी मशीनरी को रेल के जरिए पहुँचाना लंबे समय में क्षेत्रीय विकास में मदद कर सकता है।
