भारतीय सेनाओं का ऑपरेशन सिंदूर: सामूहिकता की नई मिसाल

ऑपरेशन सिंदूर का महत्व
हाल ही में, भारतीय सेनाओं ने ऑपरेशन सिंदूर का सफलतापूर्वक संचालन किया। यह ऑपरेशन इस बात का प्रमाण है कि जब हमारी सेनाएं एकजुट होकर कार्य करती हैं, तो उनकी सामूहिक शक्ति कितनी प्रभावशाली होती है। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सोमवार को दिल्ली में इस बारे में जानकारी दी। उन्होंने बताया कि इस ऑपरेशन के दौरान, भारत ने अपने एयर डिफेंस में एक अद्वितीय एकता का प्रदर्शन किया, जो निर्णायक साबित हुआ। भारतीय वायुसेना का इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम थलसेना के आकाशतीर और नौसेना के त्रिगुण सिस्टम के साथ प्रभावी रूप से एकीकृत किया गया, जो इस सफलता का मुख्य आधार था। इन सिस्टम्स की त्रि-सेवा समन्वय ने एकीकृत और वास्तविक समय की परिचालन तस्वीर बनाई, जिससे कमांडर्स को त्वरित और सटीक निर्णय लेने की क्षमता मिली।
सामंजस्य और भविष्य की तैयारी
रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने वायुसेना द्वारा आयोजित त्रि-सेवा संगोष्ठी में भाग लेते हुए सामंजस्य, एकता और भविष्य के लिए तैयार सशस्त्र सेनाओं पर अपने विचार साझा किए। उन्होंने बताया कि इंटीग्रेटेड एयर कमांड एंड कंट्रोल सिस्टम ने आकाशतीर और त्रिगुण के साथ मिलकर एक मजबूत आधार स्तंभ का कार्य किया, जिससे कमांड और नियंत्रण प्रणाली को नए स्तर पर पहुंचाया गया। इसके माध्यम से स्थिति की जानकारी में वृद्धि हुई और हर सैन्य कार्रवाई अधिक सटीक और प्रभावी रही।
नई चुनौतियों का सामना
रक्षा मंत्री ने कहा कि आजकल हमारे सामने साइबर हमलों और सूचना युद्ध का नया खतरा है। इन चुनौतियों के संदर्भ में यह स्पष्ट हुआ है कि यदि हमारी सेनाओं के साइबर सुरक्षा तंत्र अलग-अलग मानकों पर कार्य करेंगे, तो इससे अंतर उत्पन्न होगा, जो हमारे विरोधियों या हैकरों द्वारा प्रभावित किया जा सकता है। इसलिए, साइबर और सूचना युद्ध के मानकों को एकीकृत करना आवश्यक है।
सुरक्षा का नया स्वरूप
रक्षा मंत्री ने कहा कि 21वीं सदी में सुरक्षा का स्वरूप पूरी तरह बदल चुका है। खतरे पहले से कहीं अधिक जटिल हो गए हैं। आज भूमि, जल, वायु, अंतरिक्ष और साइबर क्षेत्र आपस में गहराई से जुड़े हुए हैं। ऐसे समय में कोई भी सेवा (आर्मी, नेवी, एयरफोर्स) यह सोचकर अलग-थलग नहीं रह सकती कि वह अकेले अपने क्षेत्र की सभी चुनौतियों का सामना कर लेगी।
सहक्रियता की आवश्यकता
रक्षा मंत्री ने स्पष्ट किया कि सहक्रियता और सामूहिकता अब केवल इच्छित लक्ष्य नहीं, बल्कि संचालन की अनिवार्य आवश्यकता बन चुके हैं। यदि हमारे निरीक्षण और सुरक्षा मानक अलग-अलग रहेंगे, तो कठिन परिस्थितियों में भ्रम उत्पन्न होगा और निर्णय लेने की गति धीमी होगी। छोटी तकनीकी गलती भी व्यापक प्रभाव पैदा कर सकती है। लेकिन जब मानक समान होंगे, तो समन्वय सुचारू होगा और सैनिकों का आत्मविश्वास बढ़ेगा।
एकीकृत प्रणाली का विकास
रक्षा मंत्री ने कहा कि हमें पुराने अलगाव को तोड़ना होगा और सामूहिकता की दिशा में कदम बढ़ाना होगा। जब तीनों सेनाएं एक स्वर, एक लय और एक ताल में काम करेंगी, तभी हम हर मोर्चे पर विरोधियों को करारा जवाब दे पाएंगे और राष्ट्र को नई ऊंचाइयों तक पहुंचा पाएंगे।