भूपेश बघेल और बेटे ने सुप्रीम कोर्ट में शराब घोटाले की जांच को चुनौती दी

सुप्रीम कोर्ट में दायर याचिका
छत्तीसगढ़ के पूर्व मुख्यमंत्री भूपेश बघेल और उनके पुत्र चैतन्य बघेल ने 2,161 करोड़ रुपये के कथित शराब घोटाले से संबंधित केंद्रीय एजेंसियों, सीबीआई और ईडी द्वारा चल रही जांच को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है। याचिका में इन एजेंसियों की कानूनी वैधता और क्षेत्रीय अधिकार क्षेत्र पर गंभीर सवाल उठाए गए हैं.
राज्य की अनुमति के बिना कार्रवाई अवैध
भूपेश और चैतन्य बघेल का कहना है कि जब राज्य सरकार ने सीबीआई और ईडी को दी गई सामान्य सहमति को पहले ही रद्द कर दिया है, तो इन एजेंसियों को छत्तीसगढ़ में जांच करने का अधिकार नहीं होना चाहिए। भारत के संघीय ढांचे के अनुसार, किसी राज्य में सीबीआई या ईडी जैसी केंद्रीय एजेंसियों को जांच करने के लिए राज्य सरकार की अनुमति आवश्यक होती है। उनकी याचिका में यह भी कहा गया है कि राज्य की स्वीकृति के बिना इन एजेंसियों की कार्रवाई अवैध है.
राजनीतिक प्रतिशोध का आरोप
बघेल परिवार ने यह भी आरोप लगाया है कि चैतन्य बघेल की हालिया गिरफ्तारी राजनीतिक प्रतिशोध का परिणाम है। उन्होंने कहा कि यह कार्रवाई विपक्षी नेताओं को परेशान करने और राजनीतिक रूप से निशाना बनाने का प्रयास है। इसके साथ ही, उन्होंने यह सवाल उठाया है कि राज्य में कांग्रेस सरकार के कार्यकाल में वापस ली गई सहमति के बावजूद केंद्रीय एजेंसियां किस आधार पर अपनी कार्रवाई कर रही हैं.
सुनवाई की तारीख
सुप्रीम कोर्ट ने इस मामले की सुनवाई 4 अगस्त 2025 को निर्धारित की है। न्यायमूर्ति सूर्यकांत और न्यायमूर्ति जॉयमाल्या बागची की पीठ इस याचिका पर विचार करेगी। यह सुनवाई न केवल छत्तीसगढ़ में सीबीआई और ईडी की जांच की दिशा तय करेगी, बल्कि भारत में संघीय ढांचे और राज्य-केंद्र के बीच शक्तियों के संतुलन पर भी व्यापक प्रभाव डाल सकती है.
राजनीतिक हलचल
यह याचिका ऐसे समय में आई है जब शराब घोटाले की जांच तेज हो रही है और चैतन्य बघेल की गिरफ्तारी को लेकर राजनीतिक चर्चाएं बढ़ रही हैं। अदालत में होने वाली सुनवाई से यह स्पष्ट होगा कि केंद्रीय एजेंसियों की कार्रवाई वैधानिक है या नहीं। सुप्रीम कोर्ट का निर्णय भविष्य में राज्यों में केंद्रीय एजेंसियों के कार्यों की प्रक्रिया को दिशा दे सकता है.