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भोपाल की पॉश सोसाइटी में अवैध निर्माण पर हाईकोर्ट का सख्त रुख

भोपाल की व्हिस्परिंग पाम्स सोसाइटी में अवैध निर्माण के आरोपों पर हाईकोर्ट ने सख्त कदम उठाए हैं। जस्टिस विशाल मिश्रा की एकल पीठ ने अधिकारियों और बिल्डर को नोटिस जारी किया है। यदि आरोप सही साबित होते हैं, तो कई आलीशान बंगलों पर बुलडोजर चल सकता है। इस मामले की अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी, और सभी की नजरें इस पर टिकी हैं। जानें इस हाई-प्रोफाइल केस की पूरी कहानी और इसके संभावित परिणाम।
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भोपाल की पॉश सोसाइटी में अवैध निर्माण पर हाईकोर्ट का सख्त रुख

भोपाल में कलियासोत डैम के पास का मामला

Madhya Pradesh news: भोपाल में कलियासोत डैम के निकट स्थित व्हिस्परिंग पाम्स सोसाइटी अब चर्चा का विषय बन गई है। जबलपुर हाईकोर्ट की जस्टिस विशाल मिश्रा की एकल पीठ ने इस हाई-प्रोफाइल सोसाइटी में अवैध निर्माण के आरोपों पर कड़ी कार्रवाई करते हुए संबंधित अधिकारियों, बिल्डर और सरकारी विभागों को नोटिस जारी किया है। इस निर्णय के बाद रिटायर्ड आईएएस अधिकारियों और बड़े व्यवसायियों की मुश्किलें बढ़ गई हैं, क्योंकि यदि आरोप सही साबित होते हैं, तो उनके बंगलों पर बुलडोजर चलना तय है।


इस आलीशान सोसाइटी में कई प्रभावशाली व्यक्तियों ने निर्धारित निर्माण सीमा से कहीं अधिक निर्माण कर लिया है। यह क्षेत्र पर्यावरणीय दृष्टि से संवेदनशील माना जाता है, और यहां लो डेनसिटी जोन के नियमों का उल्लंघन किया गया है। मामले की अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी, जिस पर सभी की नजरें टिकी हैं।


निर्माण नियमों का उल्लंघन

निर्माण की सख्त पाबंदियां


जानकारी के अनुसार, कलियासोत बांध के पास का यह क्षेत्र भोपाल मास्टर प्लान 2005 के तहत लो डेनसिटी जोन के रूप में वर्गीकृत है, जहां निर्माण पर कड़े प्रतिबंध हैं। नियमों के अनुसार, इस क्षेत्र में केवल 6% क्षेत्रफल तक निर्माण की अनुमति है। उदाहरण के लिए, यदि किसी प्लॉट का आकार 10,000 वर्गफुट है, तो केवल 600 वर्गफुट तक निर्माण वैध है।


हालांकि, आरोप है कि रिटायर्ड मुख्य सचिवों और कई प्रभावशाली व्यवसायियों ने इन नियमों का उल्लंघन करते हुए निर्धारित सीमा से कई गुना अधिक निर्माण कर लिया है।


अवैध निर्माण का गंभीर आरोप

50% से अधिक क्षेत्र में अवैध निर्माण


मामले की सुनवाई के दौरान, जस्टिस विशाल मिश्रा की एकल पीठ ने महेश सिंह परमार और राज बहादुर प्रसाद द्वारा दायर जनहित याचिका पर प्रारंभिक सुनवाई की। याचिकाकर्ताओं के वकील राहुल दिवाकर और हर्षवर्धन तिवारी ने अदालत को बताया कि इस संवेदनशील क्षेत्र में 50 प्रतिशत से अधिक हिस्से में अवैध निर्माण किया गया है। इससे न केवल मास्टर प्लान का उल्लंघन हुआ है, बल्कि आसपास के जलस्रोतों और हरित क्षेत्र पर भी गंभीर पर्यावरणीय प्रभाव पड़ा है।


कोर्ट की चेतावनी

कोर्ट ने कहा – 'अगर तथ्य सही पाए गए, तो...'


अदालत ने कहा कि यदि ये तथ्य सही पाए गए, तो इसे गंभीर लापरवाही माना जाएगा। कोर्ट ने मामले में प्रतिवादी के रूप में दो रिटायर्ड आईएएस अधिकारी, एक उद्योगपति, नगर निगम आयुक्त, शहरी प्रशासन आयुक्त, टाउन एंड कंट्री प्लानिंग डायरेक्टर और सोसाइटी के बिल्डर को पक्षकार बनाया है। सभी से विस्तृत जवाब मांगा गया है।


अगली सुनवाई की तारीख

अगली सुनवाई 24 नवंबर को


याचिकाकर्ता ने कोर्ट से अनुरोध किया है कि जिन मकानों में स्वीकृत सीमा से अधिक निर्माण किया गया है, उन्हें अवैध घोषित कर ध्वस्त किया जाए। साथ ही, भविष्य में इस क्षेत्र में किसी भी नए निर्माण पर पूर्ण प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है। अब इस हाई-प्रोफाइल केस की अगली सुनवाई 24 नवंबर को होगी। यदि आरोप सही पाए गए, तो भोपाल की इस पॉश सोसाइटी की कई आलीशान कोठियों पर बुलडोजर चलना तय है।


कलियासोत बांध के आसपास का क्षेत्र भोपाल के प्रमुख जलस्रोतों में से एक है। यहां बढ़ता निर्माण न केवल भूजल स्तर को प्रभावित कर सकता है, बल्कि आसपास की हरियाली और पर्यावरणीय संतुलन को भी खतरे में डाल सकता है। यही कारण है कि हाईकोर्ट ने इस मामले को अत्यंत गंभीर मानते हुए इसे 'सार्वजनिक हित से जुड़ा विषय' बताया है.