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भोपाल में गरबा आयोजनों के लिए 'भोपाली फॉर्मूला' की शुरुआत

भोपाल में गरबा आयोजनों में गैर-हिंदुओं की एंट्री रोकने के लिए 'भोपाली फॉर्मूला' लागू किया गया है। इस प्रक्रिया में धार्मिक अनुष्ठान शामिल हैं, जैसे आधार कार्ड की जांच, तिलक, और गंगाजल का आचमन। आयोजकों का मानना है कि यह कदम धार्मिक शुद्धता बनाए रखने के लिए आवश्यक है। हालांकि, इस पर लोगों की मिली-जुली प्रतिक्रियाएं हैं। कुछ इसे धार्मिक परंपराओं की रक्षा का प्रयास मानते हैं, जबकि अन्य इसे सामाजिक एकता के लिए ठीक नहीं मानते।
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भोपाल में गरबा आयोजनों के लिए 'भोपाली फॉर्मूला' की शुरुआत

भोपाल में गरबा आयोजनों में नई व्यवस्था

भोपाल समाचार: भोपाल में गरबा आयोजनों में गैर-हिंदुओं की एंट्री को रोकने के लिए एक अनोखा तरीका अपनाया गया है, जिसे 'भोपाली फॉर्मूला' कहा जा रहा है। इस फॉर्मूले के तहत गरबा पंडाल में प्रवेश से पहले कई धार्मिक प्रक्रियाओं का पालन करना आवश्यक है। आयोजकों का मानना है कि यह कदम धार्मिक शुद्धता बनाए रखने और गरबा को केवल हिंदू और सनातन धर्म के अनुयायियों तक सीमित रखने के लिए आवश्यक है।


भोपाल के अवधपुरी क्षेत्र में श्री कृष्ण सेवा समिति गरबा मंडल ने इस नई व्यवस्था को लागू किया है। प्रवेश द्वार पर सबसे पहले आधार कार्ड की जांच की जाती है। इसके बाद तिलक लगाया जाता है और 'जय श्री राम' का नारा लगवाया जाता है। फिर आम के पत्तों से गंगाजल का आचमन कराया जाता है और तांबे के लोटे से गोमूत्र का छिड़काव किया जाता है। आयोजकों का कहना है कि गैर-हिंदू गंगाजल और गोमूत्र का आचमन स्वीकार नहीं करेंगे, जिससे उनकी पहचान हो जाएगी और उन्हें प्रवेश से रोका जा सकेगा। इसके अलावा कलावा बांधना भी अनिवार्य है।


गैर-हिंदुओं की एंट्री रोकने के लिए नया तरीका


इस नई व्यवस्था पर गरबा देखने आए लोगों की प्रतिक्रियाएं मिश्रित रही हैं। कुछ लोगों ने गंगाजल और गोमूत्र को पवित्र मानते हुए इस कदम की सराहना की है। उनका कहना है कि यह धार्मिक परंपराओं को संरक्षित करने का एक अच्छा प्रयास है। वहीं, कुछ लोग इसे सामाजिक एकता के लिए ठीक नहीं मानते।


'भोपाली फॉर्मूला' का समर्थन


भोपाल के सांसद आलोक शर्मा ने इस फॉर्मूले का समर्थन करते हुए कहा कि कुछ लोग हिंदू प्रतीकों जैसे तिलक और कलावा का दुरुपयोग कर गरबा में प्रवेश ले सकते हैं। उनका कहना है कि नवरात्रि का पर्व केवल हिंदुओं और सनातन धर्म के अनुयायियों के लिए है और राज्य सरकार ऐसी किसी भी गतिविधि को बर्दाश्त नहीं करेगी। यह नया फॉर्मूला भोपाल में गरबा आयोजनों को धार्मिक रंग दे रहा है। आयोजकों का कहना है कि यह व्यवस्था न केवल धार्मिक शुद्धता बनाए रखेगी, बल्कि गरबा के सांस्कृतिक महत्व को भी बरकरार रखेगी।