मतदाता पहचान प्रक्रिया में बदलाव: चुनाव आयोग का नया कदम

चुनाव आयोग का नया निर्णय
चुनाव आयोग ने मतदान प्रक्रिया को सरल बनाने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम उठाया है। अब, मतदाता सूची में नाम होने की शर्त के साथ, लोग अपने मतदाता पहचान पत्र (ईपीआईसी) के अलावा 12 अन्य फोटो पहचान दस्तावेजों में से किसी एक को दिखाकर वोट डाल सकेंगे। यह जानकारी एक अधिसूचना के माध्यम से साझा की गई है।
चुनाव आयोग को जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1951 और निर्वाचक पंजीकरण नियम, 1960 के तहत मतदाताओं की पहचान सुनिश्चित करने और ईपीआईसी जारी करने का अधिकार प्राप्त है। बिहार और आठ विधानसभा क्षेत्रों में होने वाले उपचुनावों के लिए लगभग सभी मतदाताओं को ईपीआईसी वितरित कर दिए गए हैं। आयोग ने सभी मुख्य कार्यकारी अधिकारियों को निर्देश दिया था कि मतदाता सूची के अंतिम प्रकाशन के 15 दिनों के भीतर नए मतदाताओं को ये पहचान पत्र प्रदान किए जाएं।
हालांकि, कुछ मतदाताओं के पास ईपीआईसी उपलब्ध नहीं हो सकता, इसलिए उनकी सुविधा के लिए वैकल्पिक व्यवस्था की गई है। जिनका नाम मतदाता सूची में है, लेकिन ईपीआईसी नहीं है, ऐसे लोग आधार कार्ड, मनरेगा जॉब कार्ड, बैंक या डाकघर की फोटोयुक्त पासबुक, आयुष्मान भारत स्वास्थ्य बीमा स्मार्ट कार्ड, ड्राइविंग लाइसेंस, पैन कार्ड, एनपीआर स्मार्ट कार्ड, भारतीय पासपोर्ट, फोटोयुक्त पेंशन दस्तावेज, केंद्र या राज्य सरकार की फोटोयुक्त सेवा आईडी, सांसद या विधायक का आधिकारिक पहचान पत्र या दिव्यांगता पहचान पत्र (यूडीआईडी) में से किसी एक को पेश कर सकते हैं।
हालांकि, यह स्पष्ट किया गया है कि वोट डालने के लिए मतदाता सूची में नाम होना अनिवार्य है। बिना नाम के कोई भी दस्तावेज स्वीकार नहीं किया जाएगा।
इसके अलावा, बुर्का पहनने वाली महिलाओं को वोट देने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए विशेष इंतजाम किए गए हैं। मतदान केंद्रों पर महिला अधिकारियों की मौजूदगी में उनकी पहचान गरिमापूर्ण तरीके से की जाएगी और उनकी गोपनीयता का ध्यान रखा जाएगा।