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मतदाता सूचियों का ऐतिहासिक शुद्धिकरण: 12 राज्यों में 6.5 करोड़ नाम हटाए गए

भारत में निर्वाचन आयोग ने 12 राज्यों में मतदाता सूचियों के शुद्धिकरण के लिए एक बड़ा अभियान चलाया है, जिसमें लगभग 6.5 करोड़ नाम हटाए गए हैं। उत्तर प्रदेश से सबसे अधिक 2.89 करोड़ नाम गलत पाए गए हैं। आयोग का कहना है कि यह कदम चुनावी पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक था। जानें अन्य राज्यों में कितने नाम हटाए गए और आगे की प्रक्रिया क्या होगी।
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मतदाता सूचियों का ऐतिहासिक शुद्धिकरण: 12 राज्यों में 6.5 करोड़ नाम हटाए गए

मतदाता सूचियों की सफाई का बड़ा अभियान


भारत में पहली बार मतदाता सूचियों के शुद्धिकरण के लिए एक व्यापक अभियान चलाया गया है। निर्वाचन आयोग ने 12 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में विशेष गहन समीक्षा (एसआईआर) का आयोजन किया। इस पहले चरण में लगभग 6 करोड़ 50 लाख नामों को हटाया गया, जिसमें मृत मतदाता, स्थान बदल चुके लोग, दो स्थानों पर दर्ज नाम और लंबे समय से अनुपस्थित मतदाता शामिल हैं। आयोग के अनुसार, यह कदम चुनावी पारदर्शिता को बढ़ावा देने के लिए आवश्यक था, जिससे फर्जी मतदान की संभावनाएं कम होंगी।


उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक नामों की कटौती

उत्तर प्रदेश से सबसे चौंकाने वाले आंकड़े सामने आए हैं, जहां 2.89 करोड़ नाम गलत पाए गए। यह आंकड़ा देश में सबसे बड़ा है। आयोग के अधिकारियों का कहना है कि यूपी की जनसंख्या अधिक होने के साथ-साथ सूची को लंबे समय से अपडेट नहीं किया गया था। इसके बाद तमिलनाडु में 97.37 लाख, गुजरात में 73.73 लाख और पश्चिम बंगाल में 58.20 लाख नामों को हटाया गया। यह स्पष्ट है कि समस्या केवल एक राज्य तक सीमित नहीं थी।


अन्य राज्यों में भी गड़बड़ियों का पता चला

उत्तर प्रदेश और तमिलनाडु के अलावा, कई अन्य राज्यों में भी बड़ी संख्या में गलत प्रविष्टियां मिलीं। मध्य प्रदेश में 42.74 लाख, राजस्थान में 41.85 लाख और छत्तीसगढ़ में 27.34 लाख नाम हटाए गए। केरल में भी 24 लाख रिकॉर्ड अमान्य पाए गए। आयोग का कहना है कि ये सभी नाम जांच के बाद हटाए गए हैं, और यह प्रक्रिया पूरी तरह से दस्तावेज और फील्ड वेरिफिकेशन पर आधारित रही।


मसौदा सूची जारी होने के बाद जनता की कार्रवाई

उत्तर प्रदेश को छोड़कर अन्य 11 राज्यों में मतदाता सूची का मसौदा जारी किया जा चुका है। उत्तर प्रदेश की सूची 31 दिसंबर को जारी होगी। आयोग ने स्पष्ट किया है कि यदि किसी का नाम गलती से हट गया है या गलत तरीके से जोड़ा गया है, तो आपत्ति दर्ज कराई जा सकती है। सत्यापन प्रक्रिया 23 दिसंबर से 14 फरवरी तक चलेगी, और अंतिम मतदाता सूची 21 फरवरी को प्रकाशित की जाएगी। राजनीतिक दलों को बूथ स्तर पर एजेंट सक्रिय रखने के लिए भी कहा गया है।


क्या और नाम हटाए या जोड़े जा सकते हैं?

चुनाव आयोग के सूत्रों के अनुसार, यह केवल पहला चरण है। एसआईआर के दौरान जिन लोगों ने जनगणना या सत्यापन प्रपत्र जमा नहीं किए, उनके रिकॉर्ड की जांच अभी जारी है। इसलिए, आगे कुछ और नाम हटाए या जोड़े जा सकते हैं। समीक्षा शुरू होने से पहले इन 12 राज्यों में लगभग 51 करोड़ मतदाता दर्ज थे। आयोग का मानना है कि अंतिम सूची आने तक आंकड़ों में थोड़ा बदलाव संभव है।


अन्य राज्यों में समीक्षा की योजना

21 फरवरी को पहले चरण की अंतिम सूची जारी होने के बाद, शेष 23 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों में भी एसआईआर शुरू की जाएगी। इनमें पंजाब, ओडिशा, उत्तराखंड, हिमाचल प्रदेश, जम्मू-कश्मीर, झारखंड, तेलंगाना और आंध्र प्रदेश जैसे बड़े राज्य शामिल हैं। आयोग इस बार बूथ लेवल अधिकारियों के प्रशिक्षण पर विशेष ध्यान दे रहा है।


क्या 2026 से पहले पूरी प्रक्रिया बदल जाएगी?

मुख्य चुनाव आयुक्त स्वयं कई राज्यों में जाकर प्रशिक्षण और समीक्षा की निगरानी कर रहे हैं। लक्ष्य है कि 2026 की शुरुआत तक पूरे देश में मतदाता सूचियों का शुद्धिकरण पूरा हो जाए। इसकी शुरुआत बिहार से हुई थी और अब इसे राष्ट्रीय स्तर पर लागू किया जा रहा है। आयोग का दावा है कि इससे चुनाव अधिक निष्पक्ष होंगे, जो इस पूरे अभियान का मुख्य उद्देश्य है।