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मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद पर हाईकोर्ट में सुनवाई

मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद के विवाद पर इलाहाबाद हाईकोर्ट में सुनवाई होने जा रही है। इस मामले में हिंदू पक्ष का दावा है कि मस्जिद भगवान कृष्ण के जन्मस्थान पर बनी है, जबकि मुस्लिम पक्ष इसकी ऐतिहासिक वैधता का समर्थन करता है। सुनवाई में कोर्ट द्वारा विवाद के प्रमुख बिंदुओं को तय करने की संभावना है, जो इस संवेदनशील मुद्दे के समाधान में महत्वपूर्ण हो सकता है।
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मथुरा में श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद विवाद पर हाईकोर्ट में सुनवाई

मथुरा में विवाद की सुनवाई

मथुरा: श्री कृष्ण जन्मभूमि और शाही ईदगाह मस्जिद के बीच चल रहे विवाद ने एक बार फिर से ध्यान आकर्षित किया है। इलाहाबाद हाईकोर्ट में शुक्रवार को दोपहर 2 बजे इस मामले की सुनवाई निर्धारित की गई है। जस्टिस राम मनोहर नारायण मिश्रा की एकल पीठ इस मामले की सुनवाई कर रही है। उम्मीद की जा रही है कि कोर्ट इस सुनवाई में विवाद के मुख्य बिंदुओं को निर्धारित कर सकता है, जो इस मामले के समाधान में एक महत्वपूर्ण कदम होगा।


यह विवाद श्री कृष्ण जन्मभूमि और उसके निकट स्थित शाही ईदगाह मस्जिद से संबंधित है। हिंदू पक्ष का कहना है कि मस्जिद उस स्थान पर बनी है, जिसे भगवान कृष्ण का जन्मस्थान माना जाता है। उनका दावा है कि शाही ईदगाह मस्जिद का निर्माण 17वीं सदी में औरंगजेब के शासनकाल में प्राचीन केशवदेव मंदिर को तोड़कर किया गया था।


वहीं, मुस्लिम पक्ष मस्जिद की ऐतिहासिक और कानूनी वैधता का समर्थन करता है। इस विवाद में मंदिर की भूमि पर स्वामित्व, पूजा का अधिकार और स्थल की पुरातात्विक जांच जैसे मुद्दे शामिल हैं। वर्तमान में, इलाहाबाद हाईकोर्ट में 18 से अधिक याचिकाएं लंबित हैं, जिनमें दोनों पक्ष अपने-अपने दावे प्रस्तुत कर रहे हैं।


इन याचिकाओं पर सुनवाई अक्टूबर 2023 से चल रही है। हाईकोर्ट इस मामले की सुनवाई अयोध्या राम जन्मभूमि विवाद की तर्ज पर कर रहा है। कोर्ट ने पहले ही कई याचिकाओं को एक साथ जोड़कर सुनवाई शुरू की है, ताकि मामले को शीघ्र सुलझाया जा सके। शुक्रवार की सुनवाई में कोर्ट द्वारा वाद के बिंदुओं को तय किए जाने की संभावना है, जिससे यह स्पष्ट होगा कि किन कानूनी पहलुओं पर विचार किया जाएगा।


यह मामला धार्मिक और ऐतिहासिक दृष्टि से अत्यंत संवेदनशील है। हिंदू पक्ष मंदिर के पुनर्निर्माण और भूमि पर अपने अधिकार की मांग कर रहा है, जबकि मुस्लिम पक्ष मस्जिद के ऐतिहासिक महत्व को बनाए रखने की बात कर रहा है।