मध्य-पूर्व में तनाव: अमेरिका ने इजरायल-ईरान विवाद पर हाई अलर्ट किया

इजरायल-ईरान तनाव की नई परतें
Israel Iran Tensions: मध्य-पूर्व में बढ़ते तनाव और ईरान के परमाणु कार्यक्रम से जुड़ी नई जानकारियों के चलते अमेरिका ने हाई अलर्ट की स्थिति घोषित की है। इजरायल द्वारा ईरान के परमाणु स्थलों पर संभावित हमले की आशंका के मद्देनजर, अमेरिका ने इराक समेत कई देशों में अपने राजनयिक मिशनों और सैन्य ठिकानों से कर्मियों की स्वैच्छिक निकासी शुरू कर दी है। इस घटनाक्रम ने वॉशिंगटन, तेहरान और तेल अवीव के बीच रिश्तों को वर्षों में सबसे तनावपूर्ण स्थिति में पहुंचा दिया है।
अमेरिका की चिंताएं और इजरायल की तैयारी
अमेरिका को यह चिंता है कि इजरायल जल्द ही ईरान के परमाणु स्थलों पर हमला कर सकता है। अमेरिकी विदेश विभाग ने इराक में कार्यरत अपने कुछ कर्मचारियों को देश छोड़ने की अनुमति दे दी है, जबकि पेंटागन ने पूरे क्षेत्र में तैनात अमेरिकी सैन्यकर्मियों के परिवारों को स्वेच्छा से लौटने की छूट दी है। यह कदम तब उठाया गया है जब तनाव अपने चरम पर पहुंच गया है और बातचीत की संभावनाएं धुंधली होती जा रही हैं।
ईरान के परमाणु हथियारों का विकास
ईरान बना रहा है परमाणु हथियार: अमेरिकी सीनेटर टॉम कॉटन ने दावा किया है कि अमेरिका के रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने पुष्टि की है कि "ईरान सक्रिय रूप से परमाणु हथियार विकसित करने की दिशा में काम कर रहा है।" उन्होंने लिखा, "हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा, हमारे सहयोगियों की सुरक्षा और क्षेत्र में लाखों नागरिकों की सुरक्षा के लिए इसे रोका जाना जरूरी है।"
Today @SecDef confirmed that Iran’s terrorist regime is actively working towards a nuclear weapon.
— Tom Cotton (@SenTomCotton) June 11, 2025
For the sake of our national security, the security of our allies, and millions of civilians in the region this cannot be allowed to happen.
पूर्व राष्ट्रपति ट्रंप की राय
ट्रंप को डील पर नहीं रहा भरोसा: पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने न्यूयॉर्क पोस्ट से बातचीत में कहा कि उन्हें ईरान के साथ परमाणु समझौते की संभावना पर अब उतना भरोसा नहीं रहा जितना पहले था। उन्होंने कहा, "मैं अब पहले से कम आश्वस्त हूं। कुछ तो हुआ है, लेकिन मुझे अब इस डील के होने की संभावना बहुत कम लग रही है।"
अमेरिकी एजेंसियों की चिंता
अमेरिकी एजेंसियों को इजरायली कार्रवाई की चिंता: वॉशिंगटन पोस्ट के अनुसार, अमेरिकी खुफिया एजेंसियों को चिंता है कि इजरायल बिना अमेरिका की अनुमति के कोई सैन्य कार्रवाई कर सकता है, जिससे बातचीत की प्रक्रिया पूरी तरह से टूट सकती है और ईरान अमेरिका के ठिकानों पर पलटवार कर सकता है। इस खतरे को देखते हुए अमेरिका ने उन सभी दूतावासों को जो ईरान के संभावित लक्ष्यों के पास हैं – जैसे मध्य पूर्व, पूर्वी यूरोप और उत्तरी अफ्रीका – उन्हें आपात बैठकें करने और सुरक्षा उपायों की रिपोर्ट भेजने को कहा है।
इराक से कर्मचारियों की वापसी
इराक से कर्मचारियों की वापसी शुरू: विदेश मंत्री मार्को रुबियो ने इराक स्थित अमेरिकी मिशन से गैर-जरूरी कर्मचारियों की वापसी की अनुमति दे दी है। एक अधिकारी ने वॉशिंगटन पोस्ट को बताया, "हमारे नवीनतम विश्लेषण के आधार पर, हमने इराक में अपने मिशन का आकार कम करने का निर्णय लिया है।"
साथ ही, रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ ने पूरे क्षेत्र में अमेरिकी सैन्य परिवारों को स्वैच्छिक वापसी की मंजूरी दे दी है। अमेरिकी सेंट्रल कमांड, विदेश विभाग और सहयोगी देशों के साथ मिलकर स्थिति पर करीबी नजर बनाए हुए है। एक वरिष्ठ राजनयिक ने कहा, "हम हालात को बहुत गंभीर मान रहे हैं। इससे पहले कभी इतनी गंभीरता नहीं देखी गई।"
ईरान की कूटनीतिक अपील
ईरान की कूटनीतिक अपील: ईरान के संयुक्त राष्ट्र मिशन ने एक्स पर कहा, "ईरान परमाणु हथियार नहीं चाहता, और अमेरिका की सैन्य गतिविधियां क्षेत्र में अस्थिरता को ही बढ़ा रही हैं।"
रविवार को ओमान में होने वाली छठे दौर की सीधी बातचीत को लेकर भी अनिश्चितता बनी हुई है। हालांकि, ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराकची ने एक्स पर लिखा कि ट्रंप की परमाणु हथियारों के खिलाफ राय "ईरान की नीति के अनुरूप है और इसी को समझौते की बुनियाद बनाया जा सकता है।"
उन्होंने आगे लिखा, "जैसे ही हम रविवार को बातचीत फिर शुरू करते हैं, यह साफ है कि एक ऐसा समझौता संभव है जो ईरान के परमाणु कार्यक्रम की शांतिपूर्ण प्रकृति सुनिश्चित कर सके – और यह तेजी से हासिल किया जा सकता है।"
IAEA की रिपोर्ट और यूरोपीय चिंता
IAEA की रिपोर्ट और यूरोपीय चिंता: IAEA की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान के पास अब लगभग 900 पाउंड 'नीर-वेपन्स ग्रेड' यूरेनियम मौजूद है और उसने अब तक अपने पूर्व गुप्त परमाणु कार्यक्रम को लेकर सभी सवालों का जवाब नहीं दिया है। यूरोपीय देश ईरान पर फिर से प्रतिबंध लगाने की योजना बना रहे हैं, लेकिन तेहरान का आरोप है कि वे खुद अपने वादों को पूरा नहीं कर पाए। अराकची ने चेताया कि यदि IAEA ने ईरान के खिलाफ कोई प्रस्ताव पास किया, तो उनका देश कड़ा जवाब देगा.