मध्य प्रदेश के पैरालंपिक एथलीटों का अर्जुन पुरस्कार लौटाने का निर्णय

पैरालंपिक एथलीटों की नाराजगी
मध्य प्रदेश के पैरालंपिक एथलीट कपिल परमार और प्राची यादव ने सरकार के प्रति अपनी नाराजगी व्यक्त की है। दोनों खिलाड़ियों ने अर्जुन पुरस्कार लौटाने का निर्णय लिया है। कपिल, जो पैरा जूडो में उत्कृष्टता के लिए जाने जाते हैं, और प्राची, जो पैराकेनो में अपनी पहचान बना चुकी हैं, ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत का मान बढ़ाया है। हालांकि, अब तक उन्हें सरकारी नौकरी नहीं मिली है, जिससे वे बेहद निराश हैं।
खिलाड़ियों की उपलब्धियाँ
कपिल परमार ने 2024 पैरालंपिक में कांस्य पदक जीता और भारत के लिए पहला पैरालंपिक मेडल हासिल किया। इसके अलावा, उन्होंने 2019 में राष्ट्रमंडल चैंपियनशिप में स्वर्ण और 2023 में ग्रैंड प्रिक्स में भी स्वर्ण पदक जीते। 2022 में एशियाई पैरा खेलों में उन्होंने रजत पदक जीता। उनकी इस उपलब्धि के लिए उन्हें 2024 में अर्जुन पुरस्कार से सम्मानित किया गया।
प्राची यादव ने 2020 टोक्यो पैरालंपिक में भाग लिया और देश की पहली पैराकेनो एथलीट बनीं। उन्होंने 2022 में पैरा विश्व कप में कांस्य पदक जीता और मध्य प्रदेश सरकार द्वारा विक्रम पुरस्कार से सम्मानित की गईं। 2023 में उन्हें भी अर्जुन पुरस्कार मिला।
सरकार से शिकायत
कपिल परमार ने एक मीडिया चैनल से बातचीत में कहा कि उनकी समस्याओं को नजरअंदाज किया गया है। उन्होंने बताया कि जब शिवराज सिंह चौहान मुख्यमंत्री थे, तब उन्हें 1 करोड़ रुपये और सरकारी नौकरी का वादा किया गया था, लेकिन उन्हें केवल 50 लाख रुपये मिले और नौकरी नहीं। पिछले एक महीने से वे अधिकारियों से संपर्क करने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन कोई भी जवाब नहीं दे रहा।
प्राची ने भी अपनी निराशा व्यक्त करते हुए कहा कि अगर वह उत्तर प्रदेश या हरियाणा में पैदा होतीं, तो उन्हें बेहतर अवसर और पेंशन मिलती। उन्होंने मध्य प्रदेश सरकार पर आरोप लगाया कि वे उन्हें नौकरी या आर्थिक सहायता नहीं दे रही हैं।