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मध्य प्रदेश में 512 करोड़ रुपये का GST घोटाला: 23 फर्जी कंपनियों का पर्दाफाश

मध्य प्रदेश में एक बड़ा GST घोटाला सामने आया है, जिसमें 23 फर्जी कंपनियों के माध्यम से 512 करोड़ रुपये की GST इनवॉइस बनाई गई। विनोद सहाय नामक व्यक्ति ने इस घोटाले का मास्टरमाइंड बनकर किसानों और छोटे व्यापारियों से दस्तावेज जुटाए। प्रारंभिक जांच में ₹34 करोड़ का घोटाला सामने आया था, लेकिन यह राशि बढ़कर ₹130 करोड़ तक पहुंच गई। आर्थिक अपराध शाखा ने आरोपी को गिरफ्तार कर लिया है और मामले की जांच जारी है। जानें इस घोटाले के पीछे की पूरी कहानी और सरकार की कार्रवाई के बारे में।
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मध्य प्रदेश में 512 करोड़ रुपये का GST घोटाला: 23 फर्जी कंपनियों का पर्दाफाश

GST घोटाले का खुलासा

जबलपुर के विनोद सहाय (जिसे NK खरे और Neelu Sonkar के नाम से भी जाना जाता है) ने 23 फर्जी कंपनियों का एक जाल तैयार किया। इन कंपनियों के माध्यम से बिना किसी वास्तविक व्यापार के 512 करोड़ रुपये की GST इनवॉइस बनाई गईं, और ₹130 करोड़ का ITC गलत तरीके से दावा किया गया।


प्रारंभिक जांच में ₹34 करोड़ के ITC घोटाले का पता चला था, लेकिन जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ी, यह राशि बढ़कर ₹130 करोड़ तक पहुंच गई।


विनोद सहाय को 25 जून 2025 को रांची से गिरफ्तार किया गया है और वह वर्तमान में पुलिस हिरासत में है।


आरोपी ने किसानों और छोटे व्यापारियों से उनके आधार, PAN, भूमि के दस्तावेज, बिजली के बिल आदि लेकर फर्जी GST रजिस्ट्रेशन करवाए। इसके बाद, फर्जी खरीद-बिक्री की इनवॉइस तैयार की गईं, जिससे ITC ट्रांसफर संभव हुआ।


इस नेटवर्क का दायरा जबलपुर, भोपाल, इंदौर, नागपुर, बिलासपुर, कोरबा और रांची तक फैला हुआ था। आरोपियों ने सरकारी खजाने को धोखा देने के लिए माइक्रोसॉफ्ट-शैली की फर्जी बिलिंग, शिपिंग रसीदें और कोयला एवं स्टील व्यापार का उपयोग किया।


आर्थिक अपराध शाखा (EOW) ने आरोपी के घर से फर्जी दस्तावेज, GST बिल बुक्स और डिजिटल पहचान जब्त की है। 150 से अधिक बैंक खातों को जांच एजेंसियों द्वारा सील कर दिया गया है।


यह घोटाला न केवल मध्य प्रदेश बल्कि अन्य राज्यों के लिए भी एक चेतावनी है। सरकार अब फर्जी रजिस्ट्रेशन को रोकने के लिए भौतिक सत्यापन को तेज कर रही है। इंदौर में पिछले छह महीनों में 100 फर्जी रजिस्ट्रेशन रद्द किए गए हैं। आधार-आधारित प्रमाणीकरण और डेटा मिलान को भी मजबूत किया जा रहा है।