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मध्य प्रदेश में खाद संकट: किसानों की बढ़ती मुश्किलें और प्रशासन की चुनौतियाँ

मध्य प्रदेश में बुआई का मौसम शुरू होते ही खाद संकट ने किसानों की मुश्किलें बढ़ा दी हैं। जगह-जगह यूरिया के लिए लंबी कतारें लग रही हैं, जिससे किसानों में नाराजगी बढ़ रही है। करहिया मंडी में स्थिति बिगड़ने पर किसानों ने अधिकारियों को कमरे में बंद कर दिया। मुख्यमंत्री ने खाद वितरण को पारदर्शी बनाने के निर्देश दिए हैं, लेकिन किसानों का धैर्य टूटता जा रहा है। जानिए इस संकट की पूरी कहानी और प्रशासन की चुनौतियाँ।
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मध्य प्रदेश में खाद संकट: किसानों की बढ़ती मुश्किलें और प्रशासन की चुनौतियाँ

खाद संकट का सामना कर रहे किसान

बुआई का समय आ चुका है, लेकिन मध्य प्रदेश में खाद की कमी ने किसानों के लिए समस्याएँ बढ़ा दी हैं। किसान यूरिया प्राप्त करने के लिए घंटों तक कतार में खड़े रहते हैं। रेवांचल के करहिया मंडी में स्थिति तब बिगड़ गई जब नाराज किसानों ने तहसीलदार और अन्य अधिकारियों को एक कमरे में बंद कर दिया। पुलिस को स्थिति को नियंत्रित करने के लिए बल का प्रयोग करना पड़ा, हालांकि प्रशासन इसे 'हल्की कार्रवाई' बताता है।


मुख्यमंत्री का निर्देश

मुख्यमंत्री मोहन यादव ने अधिकारियों के साथ एक उच्च स्तरीय समीक्षा बैठक की, जिसमें उन्होंने स्पष्ट निर्देश दिए कि खाद का वितरण पारदर्शी और सुचारू होना चाहिए। उन्होंने चेतावनी दी कि किसी भी अव्यवस्था के लिए कलेक्टरों को जिम्मेदार ठहराया जाएगा। सीएम ने कहा कि जिला प्रशासन को खाद की उपलब्धता की नियमित समीक्षा करनी चाहिए और किसानों को सही जानकारी प्रदान करनी चाहिए ताकि भ्रम की स्थिति न बने। इसके अलावा, उन्होंने डबल लॉक गोदामों और बिक्री केंद्रों पर निगरानी रखने और आवश्यकता पड़ने पर अतिरिक्त बिक्री केंद्र खोलने का आदेश दिया।


करहिया मंडी में तनाव

करहिया मंडी में बवाल

रेवा जिले के करहिया मंडी में मंगलवार रात स्थिति बिगड़ गई। किसानों की लंबी कतारें दिनभर बनी रहीं। प्रशासन ने तनाव कम करने के लिए चाय और बिस्किट बांटे, लेकिन रात होते-होते गुस्सा फूट पड़ा। किसानों ने तहसीलदार, नायब तहसीलदार और मार्कफेड अधिकारियों को कमरे में बंद कर दिया। इसके बाद पुलिस को मौके पर आना पड़ा और वीडियो में दिखा कि किसानों को हटाने के लिए डंडों का इस्तेमाल किया गया। हालांकि प्रशासन का दावा है कि 'लाठीचार्ज' नहीं हुआ, बल्कि हल्का बल प्रयोग किया गया।


किसानों की समस्याएँ

क्या है किसानों की परेशानी?

किसानों का कहना है कि उन्हें दो-दो दिन कतार में खड़ा रहने के बाद भी खाली हाथ लौटना पड़ रहा है। कई किसान दूर-दराज के गांवों से यूरिया लेने आए थे, लेकिन उन्हें केवल वादे और आश्वासन मिले। एक किसान ने नाराजगी जताते हुए कहा, 'अगर बुआई के समय यही हाल है तो आगे हम क्या करेंगे?' किसानों का धैर्य टूटता जा रहा है और प्रशासन की बातों पर भरोसा भी कम हो रहा है।


सरकार का दावा और वास्तविकता

सरकार का दावा और हकीकत

सरकार का कहना है कि खाद की पर्याप्त मात्रा उपलब्ध है और केवल धैर्य रखने की आवश्यकता है। रेवांचल प्रशासन ने बताया कि 53 एफआईआर दर्ज की गई हैं, 88 लाइसेंस रद्द किए गए और 406 बिक्री केंद्रों पर प्रतिबंध लगाया गया है ताकि कालाबाजारी पर रोक लगाई जा सके। लेकिन हकीकत यह है कि किसानों को इन आंकड़ों से कोई राहत नहीं मिल रही। वे रोजाना घंटों लाइन में खड़े होकर भी निराश लौट रहे हैं, जिससे उनकी नाराजगी लगातार बढ़ रही है।