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मध्य प्रदेश में जन्मा अनोखा नवजात: एलियन जैसी त्वचा से सबको किया हैरान

A shocking case has emerged from Rewa, Madhya Pradesh, where a newborn has been born with a rare condition known as Collodion Baby Syndrome. The baby's skin appears alien-like, with deep cracks, leaving hospital staff and family members astonished. Currently admitted to the Special Newborn Baby Care Unit, the infant is under oxygen support due to breathing difficulties. Medical experts are closely monitoring the situation, as the condition poses significant health risks. This article delves into the details of this rare syndrome, the medical team's efforts, and the implications of such a condition on the newborn's health.
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मध्य प्रदेश में जन्मा अनोखा नवजात: एलियन जैसी त्वचा से सबको किया हैरान

चौंकाने वाला मामला रीवा से

मध्य प्रदेश के रीवा जिले के चाकघाट क्षेत्र में एक अनोखा मामला सामने आया है। रायपुर सोनारी गांव में एक नवजात शिशु का जन्म हुआ है, जिसकी शक्ल सामान्य बच्चों से काफी भिन्न है। इस बच्चे की त्वचा में गहरी दरारें हैं और उसका चेहरा किसी एलियन जैसा प्रतीत हो रहा है, जिससे अस्पताल के स्टाफ और परिजन चकित हैं। चिकित्सकों के अनुसार, यह मामला कॉलोडीयोंन बेबी सिंड्रोम का है, जो एक अत्यंत दुर्लभ और गंभीर त्वचा रोग है.


नवजात की स्थिति और उपचार

इस नवजात को रीवा के शासकीय गांधी स्मारक चिकित्सालय के स्पेशल न्यूबोर्न बेबी केयर यूनिट (SNCU) में भर्ती किया गया है। उसे सांस लेने में कठिनाई हो रही है, जिसके चलते उसे ऑक्सीजन सपोर्ट पर रखा गया है। डॉक्टरों की एक विशेषज्ञ टीम उसकी स्थिति पर लगातार नजर रख रही है, क्योंकि उसकी हालत बेहद नाजुक है.


दर्शकों में जिज्ञासा का माहौल

इस दुर्लभ नवजात को देखने वाले लोग हैरान हैं। बच्चे की त्वचा इतनी सख्त और खिंची हुई है कि उसका चेहरा किसी साइंस फिक्शन फिल्म के एलियन जैसा नजर आता है। कई लोग इसे चमत्कार मान रहे हैं, जबकि डॉक्टर इसे एक मेडिकल इमरजेंसी के रूप में देख रहे हैं.


कॉलोडीयोंन बेबी सिंड्रोम की जानकारी

चिकित्सकों के अनुसार, यह बच्चा कॉलोडीयोंन नामक दुर्लभ बीमारी से ग्रसित है। इस स्थिति में नवजात की त्वचा मोटी झिल्ली जैसी हो जाती है और उसमें दरारें पड़ने लगती हैं। इन दरारों के कारण शरीर में संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है.


विशेष देखभाल की आवश्यकता

चिकित्सकों की एक विशेषज्ञ टीम, जिसमें डर्मेटोलॉजिस्ट और पीडियाट्रिशियन शामिल हैं, इस नवजात का इलाज कर रही है। श्याम शाह मेडिकल कॉलेज के बाल्य एवं शिशु रोग विभाग के प्राध्यापक डॉ. करण जोशी ने बताया कि कॉलोडीयोंन बीमारी के मामले साल में केवल दो या तीन बार ही सामने आते हैं। इन्हें विशेष उपचार की आवश्यकता होती है, क्योंकि बच्चों की त्वचा बहुत संवेदनशील होती है.


बीमारी के कारण

विशेषज्ञों के अनुसार, कॉलोडीयोंन बीमारी के पीछे मुख्यतः जेनेटिक कारण होते हैं, लेकिन कुछ मामलों में यह नॉन-जेनेटिक कारणों से भी हो सकती है। यह बीमारी जन्म के समय ही पहचान में आ जाती है और यदि समय पर उपचार नहीं किया गया, तो यह जानलेवा भी हो सकती है.


संक्रमण का खतरा

नवजात की त्वचा में दरारों के कारण संक्रमण का खतरा बना हुआ है। इसलिए बच्चे को एक हाई-स्टरलाइज्ड वातावरण में रखा गया है। डॉक्टरों की टीम उसकी देखरेख कर रही है ताकि किसी भी जटिलता से बचा जा सके.