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मध्य प्रदेश में नई गेहूं की किस्में: कम पानी में अधिक उपज

मध्य प्रदेश के कृषि वैज्ञानिकों ने नई गेहूं की किस्में विकसित की हैं, जो कम पानी में भी बंपर पैदावार देने में सक्षम हैं। यदि किसान इन किस्मों को अपनाते हैं, तो वे प्रति हेक्टेयर 80 क्विंटल तक उपज प्राप्त कर सकते हैं। इस लेख में, हम गेहूं की बुवाई का सही समय, कम पानी में उपज, और उर्वरकों के सही उपयोग के बारे में जानकारी साझा कर रहे हैं। जानें इन नई किस्मों की विशेषताएँ और कैसे ये किसानों के लिए फायदेमंद हो सकती हैं।
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मध्य प्रदेश में नई गेहूं की किस्में: कम पानी में अधिक उपज

नई गेहूं की किस्में

नई दिल्ली | मध्य प्रदेश के कृषि विशेषज्ञों ने गेहूं की नई उन्नत किस्में विकसित की हैं, जो कम जलवायु में भी उच्च पैदावार देने में सक्षम हैं। यदि किसान इन किस्मों को अपनाते हैं, तो वे प्रति हेक्टेयर 80 क्विंटल तक उपज प्राप्त कर सकते हैं।


रबी सीजन में गेहूं की खेती किसानों के लिए आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है, और मध्य प्रदेश देश के प्रमुख गेहूं उत्पादन केंद्रों में से एक है। यहाँ से गेहूं न केवल देश में, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी भेजा जाता है। आइए, इन नई किस्मों और उनकी विशेषताओं को सरल भाषा में समझते हैं।


गेहूं की बुवाई का सही समय

कृषि वैज्ञानिकों के अनुसार, 10 से 30 नवंबर के बीच का समय गेहूं की बुवाई के लिए सबसे उपयुक्त है। यदि किसान इस अवधि में सही बीज का चयन करते हैं और उर्वरकों का संतुलित उपयोग करते हैं, तो वे प्रति हेक्टेयर 65 क्विंटल तक उपज प्राप्त कर सकते हैं। सही समय और तकनीक से बुवाई करने पर नई किस्में और भी बेहतर परिणाम दे सकती हैं।


कम पानी में भी बंपर पैदावार

किसानों को दो श्रेणियों में बांटा जा सकता है: पहले वे, जिनके पास जल की कमी है और सिंचाई की सुविधाएं सीमित हैं, और दूसरे वे, जिनके खेतों में जल की अच्छी व्यवस्था है।


कम पानी वाले किसानों के लिए HI 1544 और JW 322 जैसी उन्नत किस्में वरदान साबित हो सकती हैं। ये किस्में न केवल अधिक उत्पादन देती हैं, बल्कि उनके पौधे मजबूत होते हैं और रोगों से लड़ने में सक्षम होते हैं।


115-125 दिनों में तैयार फसल

यदि किसान कम समय में फसल तैयार करना चाहते हैं, तो JW 3465, JW 3382, HI 1650, HI 1655 और HI 1665 जैसी नई किस्में सबसे उपयुक्त हैं। इनकी बुवाई 40 किलो प्रति एकड़ की दर से की जाती है। ये फसलें 115 से 125 दिनों में पककर तैयार हो जाती हैं और उचित देखभाल के साथ प्रति हेक्टेयर 80 क्विंटल तक की उपज दे सकती हैं।


इन किस्मों की खास बातें

इन उन्नत गेहूं की किस्मों को विशेष रूप से सिंचित क्षेत्रों के लिए विकसित किया गया है। इनकी विशेषताएँ इस प्रकार हैं:


उच्च उपज: पानी की अच्छी उपलब्धता होने पर ये किस्में बंपर उत्पादन देती हैं।


रोगों से सुरक्षा: ये फसलें कई सामान्य बीमारियों से सुरक्षित रहती हैं।


तेज विकास: पौधे तेजी से बढ़ते हैं और समय पर कटाई के लिए तैयार हो जाते हैं।


बाजार में अच्छा दाम: इनसे मिलने वाली फसल की गुणवत्ता उत्कृष्ट होती है, जिससे मंडी में बेहतर कीमत मिलती है।


उर्वरकों का सही उपयोग

इन किस्मों की बुवाई के लिए बीज की मात्रा 40 किलो प्रति एकड़ से अधिक नहीं होनी चाहिए। DAP, यूरिया और पोटाश जैसे उर्वरकों का संतुलित उपयोग आवश्यक है। अधिक उर्वरक फसल को नुकसान पहुंचा सकता है। साथ ही, समय-समय पर सिंचाई और निराई-गुड़ाई से फसल की वृद्धि और उत्पादन में सुधार होगा।