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मध्य प्रदेश में नवजात बच्चे को जंगल में छोड़ने का चौंकाने वाला मामला

मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा में एक नवजात बच्चे को उसके माता-पिता ने सरकारी नौकरी के डर से जंगल में छोड़ दिया। यह मामला तब सामने आया जब गांव वालों ने बच्चे की चीखें सुनीं और उसे बचाया। बच्चे को ठंड और कीड़ों के काटने का सामना करना पड़ा, लेकिन वह अब सुरक्षित है। पुलिस ने इस मामले में कानूनी कार्रवाई शुरू कर दी है। जानें इस चौंकाने वाली घटना के पीछे की कहानी और इसके सामाजिक प्रभाव के बारे में।
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मध्य प्रदेश में नवजात बच्चे को जंगल में छोड़ने का चौंकाने वाला मामला

मध्य प्रदेश में नवजात बच्चे का मामला

मध्य प्रदेश में नवजात बच्चे का मामला: माता-पिता और बच्चों के बीच का संबंध अटूट माना जाता है। अपने बच्चों के लिए माता-पिता हर संभव प्रयास करने को तैयार रहते हैं। लेकिन हाल ही में एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसे जानकर आपके रोंगटे खड़े हो जाएंगे। एक नवजात शिशु को उसके माता-पिता ने सरकारी नौकरी के डर से जंगल में छोड़ दिया।


यह बच्चा खुले आसमान के नीचे, ठंडे जंगल के फर्श पर, अपने लिए एक सुरक्षित स्थान की तलाश में रोता रहा। जीवन के पहले घंटों में, उसके साथ केवल चींटियां थीं जो उसकी त्वचा पर रेंग रही थीं। यह घटना मध्य प्रदेश के छिंदवाड़ा की है, जहां तीन दिन का एक बच्चा अपने माता-पिता द्वारा पत्थर के नीचे दबाकर मरने के लिए छोड़ दिया गया था।


बच्चे की दुर्दशा

ठंड में तड़पता बच्चा


इस नवजात ने एक पत्थर के नीचे ठंड, कीड़ों के काटने और लगभग दम घुटने जैसी रातें बिताईं, जब तक कि गांव वालों ने उसकी रोने की आवाज सुनकर उसे नहीं ढूंढ लिया। सुबह के समय नंदनवाड़ी के जंगल में उसकी चीखें सुनाई दीं। जब गांव वालों ने पत्थर हटाया, तो उन्होंने देखा कि बच्चा खून से लथपथ और कांपता हुआ जीवित था।


नौकरी के डर में बच्चे को छोड़ा

बच्चे को छोड़ने का निर्णय


पुलिस के अनुसार, पिता बबलू डंडोलिया, जो एक सरकारी शिक्षक हैं, और मां राजकुमारी डंडोलिया ने अपने चौथे बच्चे को छोड़ने का निर्णय लिया। सरकारी नियमों के अनुसार, दो से अधिक बच्चों वाले लोगों को नौकरी से वंचित किया जा सकता है, इसलिए दंपति ने गर्भावस्था को छिपाने का निर्णय लिया। 23 सितंबर को राजकुमारी ने घर पर बच्चे को जन्म दिया और कुछ घंटों बाद उसे जंगल में छोड़ दिया।


गांव वालों की प्रतिक्रिया

चीखें सुनकर गांव वालों ने किया बचाव


नंदनवाड़ी गांव में सुबह की सैर पर निकले लोगों ने सबसे पहले बच्चे की चीखें सुनीं। एक ग्रामीण ने कहा, 'हमें लगा कि कोई जानवर होगा। लेकिन जब हम पास गए, तो हमें एक पत्थर के नीचे छोटे-छोटे हाथ तड़पते हुए दिखाई दिए। किसी भी माता-पिता को ऐसा नहीं करना चाहिए।'


बच्चे की स्वास्थ्य स्थिति

बच्चे को चींटियों ने काटा


छिंदवाड़ा जिला अस्पताल के डॉक्टरों ने पुष्टि की है कि बच्चे को चींटियों ने काटा था और उसे हाइपोथर्मिया के लक्षण थे। एक बाल रोग विशेषज्ञ ने कहा, 'उसका बचना किसी चमत्कार से कम नहीं है। इस स्थिति में रात भर खुले में रहना आमतौर पर जानलेवा होता है।' अब नवजात सुरक्षित है और चिकित्सकीय निगरानी में है।


कानूनी कार्रवाई

पुलिस ने मामला दर्ज किया


पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) की धारा 93 के तहत बाल परित्याग का मामला दर्ज किया है। एसडीओपी कल्याणी बरकड़े ने कहा, 'हम वरिष्ठ अधिकारियों से परामर्श कर रहे हैं। कानूनी समीक्षा के बाद 109 बीएनएस (हत्या का प्रयास) सहित अन्य धाराएँ जोड़ी जा सकती हैं।'


मध्य प्रदेश में परित्यक्त नवजातों की संख्या

मध्य प्रदेश में सबसे ज्यादा मामले


राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) के आंकड़ों के अनुसार, भारत में परित्यक्त नवजात शिशुओं की सबसे अधिक संख्या मध्य प्रदेश में दर्ज की गई है। गरीबी, सामाजिक कलंक और नौकरी से जुड़ा डर ऐसी घटनाओं का कारण बनता है। विशेषज्ञों का कहना है कि यह मामला बेहद चौंकाने वाला है क्योंकि यह हताशा से नहीं, बल्कि एक शिक्षित परिवार द्वारा जिम्मेदारी से भागने के कारण हुआ है।