मध्य प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र: नारेबाजी पर प्रतिबंध का विवाद

मध्य प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र शुरू
Madhya Pradesh State Assembly: मध्य प्रदेश विधानसभा का मानसून सत्र सोमवार से आरंभ हो गया है, लेकिन यह शुरुआत से ही विवादों में उलझ गया है। विधानसभा अध्यक्ष नरेंद्र सिंह तोमर ने एक महत्वपूर्ण आदेश जारी करते हुए कहा है कि अब विधानसभा परिसर में किसी भी विधायक को नारेबाजी या विरोध प्रदर्शन करने की अनुमति नहीं होगी।
विधायकों की आवाज पर अंकुश
यह निर्णय नियम 94(2) के तहत लिया गया है, जो सीधे तौर पर विधायकों की आवाज उठाने की स्वतंत्रता को प्रभावित करता है। कांग्रेस पार्टी इस निर्णय का कड़ा विरोध कर रही है। अब पार्टी के विधायक न तो सदन में नारेबाजी कर सकते हैं और न ही कोई विरोध प्रदर्शन कर सकते हैं।
विपक्ष की प्रतिक्रिया
विपक्ष के उपनेता हेमंत कटारे ने इस आदेश को तानाशाही करार देते हुए कहा, 'अब मीडिया को भी अंदर क्या हो रहा है, दिखाने से रोका जा रहा है। गांधी जी और अंबेडकर के नारे भी आपत्तिजनक लगने लगे हैं। क्या हम आपातकाल में हैं?' उन्होंने मांग की कि यह आदेश तुरंत वापस लिया जाए और आरोप लगाया कि यह सरकार के दबाव में लिया गया निर्णय है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेताओं की प्रतिक्रिया
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता डॉ. गोविंद सिंह ने कहा कि यदि सदन में मुद्दे उठाने पर प्रतिबंध लगाया गया, तो विधायक को जरूरत पड़ने पर जेल में भी आवाज उठानी पड़ेगी। पूर्व मंत्री लखन घनघोरिया ने इसे लोकतांत्रिक अधिकारों पर हमला बताया। उन्होंने कहा कि जो लोग विपक्ष में रहते हुए नारेबाजी और विरोध करते थे, वही अब सत्ता में आकर विपक्ष को चुप कराने की कोशिश कर रहे हैं।
बीजेपी का बचाव
बीजेपी ने इस निर्णय का समर्थन किया है। बीजेपी विधायक और पूर्व प्रोटेम स्पीकर रामेश्वर शर्मा ने कहा, 'विधानसभा कोई थिएटर या अखाड़ा नहीं है। यहां संवैधानिक बहस होनी चाहिए। विरोध करना है तो रोशनपुरा या दशहरा मैदान में करें, विधानसभा में नहीं।' इस सबके बीच, जानकारी के अनुसार मानसून सत्र से पहले कुल 3,377 सवाल विधायकों ने पूछे हैं, जिनका जवाब सरकारी विभागों को निर्धारित समय में देना होगा, ताकि कार्यवाही के दौरान सही उत्तर मिल सके।