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मनरेगा मजदूरों का प्रदर्शन: नई कानून के खिलाफ उठी आवाज़

मनरेगा मजदूरों ने बुधवार को जींद में प्रदर्शन किया, जिसमें उन्होंने केंद्र सरकार द्वारा नरेगा कानून 2005 को समाप्त करने के निर्णय का विरोध किया। मजदूरों ने अपनी मांगों को लेकर ज्ञापन सौंपा और नए कानून को ग्रामीण रोजगार के अधिकारों का उल्लंघन बताया। इस प्रदर्शन में कई मजदूर नेता शामिल हुए और उन्होंने सरकार से रोजगार की गारंटी की मांग की।
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मनरेगा मजदूरों का प्रदर्शन: नई कानून के खिलाफ उठी आवाज़

मनरेगा मजदूरों ने की मांगों को लेकर प्रदर्शन


  • नरेगा कानून 2005 को खत्म करने की मांग


जींद। मनरेगा मजदूर यूनियन के नेतृत्व में, बुधवार को मजदूरों ने अपनी मांगों के समर्थन में प्रदर्शन किया और लघु सचिवालय जाकर ज्ञापन सौंपा। प्रदर्शन से पहले, मजदूरों ने पुराना बस अड्डा पर एक महापंचायत का आयोजन किया, जिसमें यूनियन के उप प्रधान सत्यवीर सिंह ने केंद्र सरकार के नरेगा कानून 2005 को समाप्त करने के निर्णय का विरोध किया।


सरकार की जिम्मेदारी: रोजगार या बेरोजगारी भत्ता


उन्होंने कहा कि नया कानून ग्रामीण मजदूरों के रोजगार के अधिकार को समाप्त कर रहा है। मनरेगा में काम मांगने पर रोजगार या बेरोजगारी भत्ता देना सरकार की कानूनी जिम्मेदारी थी, जिसे अब खत्म किया जा रहा है। बजट और सीमित व्यवस्था थोपना मजदूरों के साथ धोखा है। इस नए अधिनियम ने मनरेगा के वित्तीय ढांचे को समाप्त कर दिया है, जिससे अब काम केवल ग्राम पंचायत योजनाओं के आधार पर दिया जाएगा।


मजदूरों ने खेती के मौसम में रोजगार पर रोक को भी मजदूर विरोधी बताया। नया कानून मजदूरों को कम मजदूरी पर काम करने के लिए मजबूर करेगा। इसके अलावा, मृत्यु या अपंगता पर मुआवजे की मांग को भी नजरअंदाज किया गया है। प्रदर्शन के अंत में, मजदूरों ने जिला सचिवालय तक जोरदार प्रदर्शन किया और राष्ट्रपति को ज्ञापन सौंपा। इस मौके पर कई मजदूर नेता उपस्थित थे।