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ममता बनर्जी ने केंद्र पर लगाया संविधान का उल्लंघन का आरोप

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाया है कि दार्जिलिंग के गोरखा समूहों के साथ वार्ता के लिए वार्ताकार की नियुक्ति में राज्य सरकार से कोई परामर्श नहीं किया गया। उन्होंने कहा कि यह संविधान का उल्लंघन है। ममता ने प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीएमओ को लिखी गई चिट्ठी का जिक्र करते हुए बताया कि केंद्र ने एकतरफा तरीके से निर्णय लिया। यह मुद्दा आगामी चुनावों से पहले काफी संवेदनशील बन गया है।
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ममता बनर्जी ने केंद्र पर लगाया संविधान का उल्लंघन का आरोप

मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का बयान

पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने हाल ही में एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा कि दार्जिलिंग के गोरखा समूहों के साथ वार्ता के लिए केंद्र द्वारा नियुक्त वार्ताकार के मामले में प्रधानमंत्री कार्यालय ने राज्य सरकार से वादा किया था कि इस पर विचार किया जाएगा। लेकिन, केंद्रीय गृह मंत्रालय ने इस पर ध्यान नहीं दिया और वार्ताकार ने 10 नवंबर को वार्ता शुरू करने की घोषणा कर दी।


ममता बनर्जी ने पूर्व आईपीएस अधिकारी पंकज कुमार सिंह द्वारा जारी चिट्ठी की आलोचना करते हुए कहा कि यह संविधान का उल्लंघन है। उन्होंने प्रेस कॉन्फ्रेंस में पीएमओ को लिखी गई चिट्ठी और उसके जवाब की कॉपी भी साझा की। उन्होंने बताया कि पीएमओ ने वार्ताकार की नियुक्ति पर विचार करने का आश्वासन दिया था, लेकिन इसके बाद वार्ताकार ने अपनी चिट्ठी जारी कर दी।


मुख्यमंत्री ने यह भी कहा कि वार्ताकार की नियुक्ति में राज्य सरकार से कोई परामर्श नहीं किया गया, और यह एकतरफा निर्णय था। उनका कहना है कि यह कदम संविधान में शक्तियों के पृथक्करण के सिद्धांत का उल्लंघन करता है। उल्लेखनीय है कि पश्चिम बंगाल के उत्तरी क्षेत्र को अलग राज्य बनाने की मांग लंबे समय से उठ रही है, और भाजपा के कई नेता इसका समर्थन कर रहे हैं। अगले साल होने वाले चुनावों से पहले यह मुद्दा बहुत संवेदनशील बन गया है। हालांकि, यह एक दोधारी तलवार की तरह है, क्योंकि यदि भाजपा राज्य के बंटवारे का प्रयास करती है, तो इसका पूरे राज्य में नकारात्मक प्रभाव पड़ सकता है।