मराठा आरक्षण आंदोलन: बॉम्बे हाईकोर्ट की चेतावनी और राजनीतिक हलचल

मराठा आरक्षण आंदोलन की स्थिति
मराठा आरक्षण आंदोलन: महाराष्ट्र में मराठा आरक्षण की मांग को लेकर चल रहा आंदोलन तेजी से बढ़ता जा रहा है। इस बीच, बॉम्बे हाईकोर्ट की टिप्पणी ने राजनीतिक विवाद को जन्म दिया है। अदालत ने प्रदर्शनकारियों को चेतावनी दी है कि वे मुंबई की सड़कों को छोड़कर केवल आजाद मैदान में ही प्रदर्शन करें। कोर्ट ने आंदोलन को अव्यवस्थित और गैर-शांतिपूर्ण बताया है।
संजय राउत की प्रतिक्रिया
इस पर शिवसेना (यूबीटी) के सांसद संजय राउत ने अदालत की तीखी आलोचना की। उन्होंने कहा कि मुंबई को खाली नहीं किया जाएगा और हाईकोर्ट के जज बीजेपी के प्रवक्ताओं की तरह कार्य कर रहे हैं। राउत का यह बयान अब राजनीतिक बहस का एक महत्वपूर्ण मुद्दा बन गया है।
आंदोलन का प्रभाव
आंदोलन से पूरा शहर ठप: दरअसल, मराठा आरक्षण की मांग को लेकर कार्यकर्ता मनोज जरांगे पाटिल के नेतृत्व में मुंबई में बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हो रहा है। प्रदर्शनकारियों की मांग है कि मराठा समाज को ओबीसी कोटे में 10 प्रतिशत आरक्षण दिया जाए। इस आंदोलन ने पूरे शहर को प्रभावित किया है, जिससे दक्षिण मुंबई के कारोबारी क्षेत्रों में यातायात जाम, बाजारों में नुकसान और आम जनता की कठिनाइयाँ बढ़ गई हैं।
बॉम्बे हाईकोर्ट का निर्देश
बॉम्बे हाईकोर्ट का निर्देश: इस स्थिति को देखते हुए, बॉम्बे हाईकोर्ट ने सरकार को आदेश दिया कि मंगलवार तक सभी प्रदर्शनकारियों को सड़कों से हटाकर केवल आजाद मैदान में रखा जाए। अदालत ने कहा कि प्रदर्शन का अधिकार है, लेकिन इससे आम जनता का जीवन प्रभावित नहीं होना चाहिए।
सरकार का आश्वासन
अदालत के निर्देशों को लागू करने का आश्वासन: महाराष्ट्र सरकार ने अदालत के निर्देशों को लागू करने का आश्वासन दिया है। हालांकि, सरकार अभी भी आंदोलनकारियों के साथ संवाद में लगी हुई है। मराठा आंदोलन के नेता मनोज जरांगे ने सरकार पर दबाव बनाने के लिए अनशन शुरू कर दिया है। उन्होंने चेतावनी दी है कि यदि उनकी मांगें नहीं मानी गईं, तो पांच करोड़ से अधिक मराठा समाज के लोग मुंबई में इकट्ठा होंगे। इस आंदोलन ने पूरे महाराष्ट्र की राजनीति में हलचल मचा दी है। बीजेपी, शिवसेना, कांग्रेस और अन्य दल इस मुद्दे पर अपने-अपने तरीके से बयान दे रहे हैं।