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मराठा आरक्षण आंदोलन: मनोज जरांगे पाटिल ने दी सख्त चेतावनी

मराठा आरक्षण आंदोलन में मनोज जरांगे पाटिल ने स्पष्ट किया है कि वे आजाद मैदान नहीं छोड़ेंगे, चाहे उन्हें अपनी जान ही क्यों न गंवानी पड़े। उन्होंने सरकार से मांग की है कि मराठों को कुनबी जाति के रूप में मान्यता दी जाए, ताकि उन्हें शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ मिल सके। जरांगे ने पुलिस और अदालत के दबाव के बावजूद शांति बनाए रखने की अपील की है। जानें इस आंदोलन की पूरी कहानी और जरांगे की चेतावनियों के बारे में।
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मराठा आरक्षण आंदोलन: मनोज जरांगे पाटिल ने दी सख्त चेतावनी

मराठा आरक्षण की मांग पर अडिग

Maratha Reservation: मराठा आरक्षण के लिए संघर्ष कर रहे मनोज जरांगे पाटिल ने मंगलवार को स्पष्ट किया कि वे किसी भी स्थिति में मुंबई के आजाद मैदान को नहीं छोड़ेंगे। उनका कहना है कि चाहे उन्हें अपनी जान ही क्यों न गंवानी पड़े, वे अनशन स्थल से नहीं हटेंगे। जरांगे ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस को चेतावनी दी कि यदि सरकार उनकी मांगों को नजरअंदाज करती है, तो जनाक्रोश इतना बढ़ जाएगा कि उसे नियंत्रित करना मुश्किल होगा।


सरकार से GR की मांग

आरक्षण के लिए GR की मांग
जरांगे ने सरकार से अनुरोध किया है कि जल्द से जल्द एक सरकारी संकल्प (Government resolution) जारी किया जाए, जिसमें मराठों को कुनबी जाति के रूप में मान्यता दी जाए। इससे मराठा समुदाय को शिक्षा और सरकारी नौकरियों में आरक्षण का लाभ मिल सकेगा। उन्होंने यह भी कहा कि सरकार को तुरंत वह अधिसूचना लागू करनी चाहिए जिसके तहत OBC कोटा के लाभ मराठा समाज के योग्य परिवारों तक पहुंचें।


शांति की अपील और चेतावनी

शांति की अपील और सरकार को चेतावनी
जरांगे ने मराठा समुदाय से शांति बनाए रखने की अपील की। उन्होंने कहा कि वे सरकार से बातचीत के लिए तैयार हैं, लेकिन जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं होतीं, तब तक वे मैदान नहीं छोड़ेंगे। जरांगे ने चेतावनी दी कि यदि पुलिस ने उन्हें जबरन हटाने या गिरफ्तार करने की कोशिश की, तो इसके गंभीर परिणाम होंगे।


पुलिस और अदालत का दबाव

पुलिस और अदालत का दबाव
इससे पहले, मुंबई पुलिस ने जरांगे और उनकी टीम को नोटिस जारी कर आजाद मैदान खाली करने का आदेश दिया था। पुलिस का कहना है कि प्रदर्शनकारियों ने हाई कोर्ट के निर्देशों का उल्लंघन किया है। वहीं, मुंबई हाई कोर्ट ने भी आंदोलनकारियों से कहा है कि मंगलवार दोपहर तक मुंबई की सड़कें खाली की जाएं ताकि शहर की सामान्य स्थिति बहाल हो सके। अदालत ने आंदोलन के कारण शहर के ठप पड़ने पर नाराज़गी जताई है।


जरांगे का आरोप और विश्वास

जरांगे का आरोप और विश्वास
जरांगे ने मुख्यमंत्री पर आरोप लगाया कि वे कोर्ट को गुमराह कर रहे हैं और इसका खामियाजा उन्हें भुगतना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि उन्हें पूरा विश्वास है कि अदालत गरीब मराठों को न्याय दिलाएगी। इस बीच, उन्होंने प्रदर्शनकारियों के लिए आवास उपलब्ध कराने की भी मांग सरकार से की।

कुल मिलाकर, मराठा आरक्षण आंदोलन अब निर्णायक मोड़ पर पहुंच चुका है। सरकार और आंदोलनकारियों के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है, जबकि अदालत ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि मुंबई की सामान्य स्थिति प्रभावित नहीं होनी चाहिए।