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महंगाई में गिरावट: सब्जियों और दालों की कीमतों में कमी

इस साल जुलाई में उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित महंगाई दर 1.55 प्रतिशत तक गिर गई है, जो जून 2017 के बाद का सबसे कम स्तर है। सब्जियों और दालों की कीमतों में आई भारी गिरावट के कारण यह कमी आई है। जानें इस गिरावट के पीछे के कारण और रिजर्व बैंक की भविष्यवाणियाँ।
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महंगाई में गिरावट: सब्जियों और दालों की कीमतों में कमी

महंगाई दर में कमी का नया रिकॉर्ड

नई दिल्ली: खाद्य वस्तुओं, विशेषकर सब्जियों और दालों की कीमतों में कमी के चलते उपभोक्ता मूल्य सूचकांक पर आधारित मुद्रास्फीति की दर इस साल जुलाई में 1.55 प्रतिशत तक गिर गई। यह लगातार नौवें महीने की गिरावट है।


राष्ट्रीय सांख्यिकी कार्यालय द्वारा मंगलवार को जारी आंकड़ों के अनुसार, जुलाई में खुदरा महँगाई दर 1.55 प्रतिशत रही, जो जून 2017 के बाद का सबसे कम स्तर है। इससे पहले, जून 2025 में यह दर 2.10 प्रतिशत और जुलाई 2024 में 5.42 प्रतिशत थी।


खाद्य मुद्रास्फीति की दर शून्य से 1.76 प्रतिशत नीचे रही, जो जनवरी 2019 के बाद का न्यूनतम स्तर है। जून में यह दर शून्य से 1.01 प्रतिशत कम थी।


महँगाई में कमी का मुख्य कारण सब्जियों और दालों की कीमतों में पिछले वर्ष की तुलना में आई भारी गिरावट है। सब्जियों की कीमतें 20.69 प्रतिशत और दालों की कीमतें 13.76 प्रतिशत कम हुई हैं। मसालों की कीमतों में 3.07 प्रतिशत और मांस तथा मछली के दाम में 0.61 प्रतिशत की कमी आई है।


इसके अलावा, कुछ खाद्य पदार्थों की महँगाई दर भी कम रही, जैसे अनाज (3.03 प्रतिशत), अंडे (2.26 प्रतिशत), दूध एवं डेयरी उत्पाद (2.74 प्रतिशत) और चीनी तथा कंफेक्शनरी उत्पाद (3.28 प्रतिशत)।


हालांकि, फलों की कीमतों में जुलाई में तेजी से वृद्धि हुई, जिनकी मुद्रास्फीति दर 14.42 प्रतिशत रही। तेल और वसायुक्त उत्पादों की कीमतें 19.24 प्रतिशत बढ़ गईं। ईंधन एवं बिजली वर्ग की महँगाई दर 2.67 प्रतिशत रही, जबकि स्वास्थ्य वर्ग की मुद्रास्फीति 4.57 प्रतिशत और शिक्षा वर्ग की 4 प्रतिशत रही।


रिजर्व बैंक ने अगस्त में मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद कहा कि चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही (जुलाई-सितंबर) में खुदरा महँगाई दर 2.1 प्रतिशत रहने का अनुमान है। इसके अनुसार, तीसरी तिमाही में यह 3.1 प्रतिशत और चौथी तिमाही में 4.4 प्रतिशत रहने की संभावना है।