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महंत भीमगिरी का बयान: सनातन धर्म की संस्कृति वैज्ञानिक आधार पर आधारित

लोहारू के गांव कुड़ल में आयोजित श्राद्ध समारोह में महंत भीमगिरी ने सनातन धर्म की संस्कृति और संस्कारों को वैज्ञानिक बताया। उन्होंने समाज में बढ़ते अपराध और नशे के खिलाफ संस्कारों की भूमिका पर जोर दिया। इस कार्यक्रम में हरियाणवी कलाकारों को भी सम्मानित किया गया। जानें इस विशेष आयोजन के बारे में और महंत भीमगिरी के विचारों को।
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महंत भीमगिरी का बयान: सनातन धर्म की संस्कृति वैज्ञानिक आधार पर आधारित

संस्कारों का महत्व


  • आने वाली पीढ़ियों को संस्कारों का ज्ञान देना आवश्यक है


Bhiwani News लोहारू। उपमंडल के गांव कुड़ल में बाबा जोहड़ नाथ की स्मृति में श्राद्ध समारोह का आयोजन किया गया। इस अवसर पर भक्तिमय भजनों का रात्रि जागरण आयोजित किया गया। महंत भीमगिरी ने इस दौरान कहा कि सनातन धर्म में पूजा, प्रसाद, व्रत और ग्रंथों की रचना वैज्ञानिकता पर आधारित है। कार्यक्रम का संचालन राजेश कुमार ने किया, जो अपनी संस्कृति और संस्कार समिति के संस्थापक हैं।


महंत ने श्रद्धालुओं को बताया कि समाज में बढ़ते अपराध, नशे और बुरी आदतों को रोकने में संस्कार और संस्कृति की महत्वपूर्ण भूमिका है। उन्होंने कहा कि हमें आने वाली पीढ़ियों को ग्राम देवता, कुल देवता और पितर देवता के बारे में जानकारी देनी चाहिए।


रात्रि जागरण में हरियाणवी कलाकार विकास पासौरिया ने बाबा की महिमा का गुणगान किया।


हरियाणवी कलाकारों का सम्मान

इस अवसर पर ब्रह्मज्ञान की बात भी गायन के माध्यम से की गई। मंदिर कमेटी, कार सेवा कमेटी और हरियाणवी संस्कृति के प्रचार-प्रसार में लगे कलाकारों को स्मृति चिन्ह देकर सम्मानित किया गया। समिति के सदस्य सुरेंद्र पंघाल और भृगु पंडित ने कहा कि वे पुरानी परंपराओं को याद रखने वाले संगठनों और कार सेवकों का सम्मान करते रहेंगे।


इस कार्यक्रम में जोगिंदर, रामवीर शर्मा, बलवान, सुखचैन ओला, वन्य समिति के सदस्य बिजेंद्र तंवर, पप्पू जांगड़ा, जयवीर जांगड़ा, आनी शर्मा, मोनू जोगी, मुकेश जांगड़ा, विजय शर्मा, आनन्द पंडित, अमित, दीवान, कृष्ण यादव, उमेद लौर आदि उपस्थित रहे।