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महबूबा मुफ्ती का विवादित बयान: गांधी और नेहरू का भारत अब लिंचिस्तान बन गया है

महबूबा मुफ्ती ने अनंतनाग में एक कार्यक्रम के दौरान विवादास्पद बयान दिया, जिसमें उन्होंने कहा कि गांधी और नेहरू का भारत अब 'लिंचिस्तान' में बदल गया है। उन्होंने देश में बढ़ती भीड़ हिंसा और असहिष्णुता पर चिंता जताई। मुफ्ती ने कहा कि यह स्थिति न केवल समाज के लिए, बल्कि देश के भविष्य के लिए भी खतरनाक है। उनके अनुसार, इस माहौल से बाहर निकलने के लिए गंभीर आत्ममंथन की आवश्यकता है। जानें इस बयान के पीछे की पूरी कहानी।
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महबूबा मुफ्ती का विवादित बयान: गांधी और नेहरू का भारत अब लिंचिस्तान बन गया है

महबूबा मुफ्ती का बयान

नई दिल्ली। जम्मू-कश्मीर के अनंतनाग में एक कार्यक्रम के दौरान पीपुल्स डेमोक्रेटिक पार्टी (PDP) की अध्यक्ष महबूबा मुफ्ती ने देश की वर्तमान स्थिति पर एक विवादास्पद टिप्पणी की। उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी और जवाहरलाल नेहरू द्वारा स्थापित भारत में एक चिंताजनक परिवर्तन आया है।

महबूबा मुफ्ती ने कहा कि गांधी और नेहरू का हिंदुस्तान अब 'लिंचिस्तान' में बदल चुका है। उन्होंने देश के विभिन्न हिस्सों में हो रही भीड़ द्वारा हिंसा की घटनाओं पर गहरी चिंता व्यक्त की। उनके अनुसार, ये घटनाएं गंभीर हैं और आम जनता की सुरक्षा और सम्मान के लिए खतरा उत्पन्न करती हैं।

महबूबा मुफ्ती का तीखा बयान

पीडीपी अध्यक्ष ने कहा कि भारत के विभिन्न राज्यों में हो रही ऐसी घटनाएं यह दर्शाती हैं कि देश में भय और असहिष्णुता का माहौल बनता जा रहा है। उन्होंने कहा कि यह वातावरण न केवल समाज के लिए बल्कि देश के भविष्य के लिए भी खतरनाक है। महबूबा मुफ्ती ने यह टिप्पणी अनंतनाग में आयोजित कार्यक्रम के दौरान पत्रकारों से बातचीत में की। उन्होंने कहा कि जिस भारत की नींव स्वतंत्रता आंदोलन के नेताओं ने रखी थी, वहां आज लोगों में डर और असुरक्षा की भावना बढ़ रही है।

गांधी और नेहरू के भारत को बनाया ‘लिंचिस्तान’

उन्होंने कहा कि भीड़ हिंसा जैसी घटनाएं किसी भी सभ्य समाज के लिए गंभीर चेतावनी हैं। इस तरह की घटनाएं न केवल कानून-व्यवस्था पर सवाल खड़े करती हैं, बल्कि लोकतांत्रिक मूल्यों को भी कमजोर करती हैं। महबूबा मुफ्ती के अनुसार, देश को ऐसे माहौल से बाहर निकालने के लिए गंभीर आत्ममंथन की आवश्यकता है। पीडीपी प्रमुख ने यह भी कहा कि लोगों की गरिमा और सुरक्षा को सुनिश्चित करना किसी भी सरकार की प्राथमिक जिम्मेदारी होती है। उन्होंने चेतावनी दी कि यदि भय और असहिष्णुता का यह माहौल यूं ही बना रहा, तो इसका असर आने वाली पीढ़ियों पर भी पड़ेगा।