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महाराष्ट्र में किसान दंपत्ति की आत्महत्या: फसल बर्बादी का तनाव

महाराष्ट्र के विदर्भ क्षेत्र में एक किसान दंपत्ति ने फसल बर्बादी के तनाव के कारण आत्महत्या कर ली। यह घटना बुलढाणा जिले के चिखली तहसील के भरोसा गांव में हुई, जहां दोनों ने एक ही फंदे से फांसी लगाई। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है, जिसमें यह पता लगाया जा रहा है कि आत्महत्या का कारण खेती में आ रही समस्याएं थीं या कोई अन्य कारण। विदर्भ में किसानों की आत्महत्या की घटनाएं बढ़ती जा रही हैं, जिससे यह क्षेत्र संकट में है।
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महाराष्ट्र में किसान दंपत्ति की आत्महत्या: फसल बर्बादी का तनाव

महाराष्ट्र के विदर्भ से दुखद खबर

महाराष्ट्र समाचार: विदर्भ क्षेत्र से एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है। बुलढाणा जिले के चिखली तहसील के भरोसा गांव में एक किसान दंपत्ति ने आत्महत्या कर ली। यह घटना इस प्रकार से है कि दोनों ने एक ही समय पर एक ही फंदे से फांसी लगाई। गुरुवार की रात को स्थानीय लोगों ने गणेश थुट्टे (55 वर्ष) और उनकी पत्नी रंजना थुट्टे को एक ही फंदे पर लटका हुआ पाया। इस घटना ने पूरे इलाके को हिला कर रख दिया है। पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है।


जांच प्रक्रिया जारी

पुलिस ने सूचना मिलने के बाद तुरंत मौके पर पहुंचकर जांच शुरू की। वे यह पता लगाने की कोशिश कर रहे हैं कि आत्महत्या का कारण खेती में आ रही समस्याएं थीं या कोई और वजह। प्रारंभिक जांच में यह सामने आया है कि दंपत्ति खेती में हो रहे नुकसान और फसल को बर्बाद कर रही हुमनी इल्ली (सूंडी) के कारण तनाव में थे। हालांकि, आत्महत्या के असली कारण का अभी तक पता नहीं चल पाया है।


विदर्भ में किसानों की आत्महत्या की समस्या

राष्ट्रीय अपराध रिकॉर्ड ब्यूरो के आंकड़ों के अनुसार, 2022 में किसान आत्महत्या की घटनाओं में महाराष्ट्र सबसे ऊपर रहा। उस वर्ष पूरे राज्य में 4,248 किसानों ने आत्महत्या की। विदर्भ जन आंदोलन समिति के अनुसार, 2006 में 1,065, 2005 में 572, 2004 में 620, 2003 में 170 और 2002 में 122 किसानों ने आत्महत्या की थी। पिछले तीन वर्षों में कुल 7,000 किसानों ने आत्महत्या की है।


कर्जमाफी की आस में किसान

विधानसभा चुनाव से पहले प्रमुख राजनीतिक दलों ने किसानों के कर्जमाफी का वादा किया था। विपक्ष और किसान संगठन सरकार से इस आश्वासन को पूरा करने के लिए प्रयासरत हैं। लेकिन किसानों में इस मुद्दे को लेकर असमंजस की स्थिति बनी हुई है। जून के अंत तक कृषि लोन का बकाया 31,200 करोड़ रुपये तक पहुंच चुका है, जिसमें 60 प्रतिशत लोन जिला सहकारी बैंकों से और 40 प्रतिशत नेशनल बैंकों से लिया गया है।