महाराष्ट्र में नक्सलवाद के खिलाफ ऐतिहासिक कदम: मुख्यमंत्री फडणवीस का दौरा

महाराष्ट्र के नक्सल प्रभावित क्षेत्र में मुख्यमंत्री का ऐतिहासिक दौरा
महाराष्ट्र समाचार: महाराष्ट्र के इतिहास में पहली बार, किसी मुख्यमंत्री ने नक्सलवाद के सबसे खतरनाक क्षेत्र कवांडे गांव का दौरा किया है। मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस छत्तीसगढ़ सीमा पर स्थित इस दूरदराज गांव में पहुंचने वाले पहले मुख्यमंत्री बने हैं। उनके दौरे के दौरान 12 खतरनाक नक्सलियों ने हथियारों के साथ आत्मसमर्पण किया, जिन पर करोड़ों का इनाम था। यह पहली बार है जब इतने बड़े पैमाने पर नक्सलियों ने एक साथ सरेंडर किया है।
सीएम फडणवीस का सुरक्षा बलों को सम्मान
‘AK-103 से लैस कमांडो, बुलेटप्रूफ गाड़ियों की फौज!’
मुख्यमंत्री फडणवीस ने C-60 कमांडो फोर्स को सलामी दी। उन्हें हाईटेक AK-103 राइफल्स, ASMI पिस्टल और बुलेटप्रूफ जैकेट प्रदान की गईं। राज्य सरकार ने पुलिस को 19 नई गाड़ियां दी हैं, जिनमें बुलेटप्रूफ वाहन भी शामिल हैं। ये सभी District Planning and Development Fund से खरीदी गई हैं। इस अवसर पर फडणवीस ने कहा, “यह केवल एक चौकी नहीं, बल्कि सरकार की ताकत का प्रतीक है। हमने 24 घंटे के भीतर कवांडे में पुलिस चौकी स्थापित कर यह दिखा दिया है कि सरकार हर गांव तक पहुंचेगी।”
नक्सलियों का नया जीवन और सामूहिक विवाह
शादी, संविधान और नई जिंदगी, नक्सलियों का बदलता चेहरा
सरेंडर करने वाले नक्सलियों को भारतीय संविधान की प्रति और रोजगार सहायता प्रदान की गई। इसके साथ ही 13 पूर्व नक्सलियों का सामूहिक विवाह कराकर उन्हें नई जिंदगी की शुरुआत का अवसर दिया गया। मुख्यमंत्री ने कहा, “अब यह लड़ाई अपने अंतिम चरण में है। पिछले डेढ़ साल में 28 नक्सली मारे गए, 31 गिरफ्तार हुए और 44 ने आत्मसमर्पण किया है। हमारा लक्ष्य मार्च 2026 तक नक्सलवाद को समाप्त करना है।”
सरकार और कॉर्पोरेट मिलकर करेंगे विकास
कॉर्पोरेट और सरकार मिलकर बदलेंगे भविष्य
सरकार गडचिरोली को नक्सल मुक्त कर रोजगार और उद्योग का केंद्र बनाना चाहती है। लॉयड्स जैसे कॉर्पोरेट इस बदलाव में सहयोगी हैं। मुख्यमंत्री ने कहा कि विकास और प्राकृतिक संसाधनों के बीच संतुलन बनाए रखते हुए यहां स्टील प्लांट्स और उद्योगों को बढ़ावा दिया जाएगा।
नक्सल प्रभावित क्षेत्र में विकास की नई राह
कवांडे से छत्तीसगढ़ तक अब पुल से जुड़ेगी विकास की राह
फडणवीस ने ड्रोन के माध्यम से कोरमा नदी पर बन रहे इंटरस्टेट ब्रिज का निरीक्षण किया। 10.7 करोड़ की लागत से बन रहा यह पुल 120 मीटर लंबा होगा, जो महाराष्ट्र और छत्तीसगढ़ को सीधे जोड़ेगा। मुख्यमंत्री ने निर्माण कार्य को तेज करने के निर्देश दिए। यह पुल गांव-गांव तक योजनाओं की पहुंच को आसान बनाएगा। जो हाथ कभी AK-47 उठाते थे, आज उन्हीं हाथों में संविधान की किताब है। यह बदलाव केवल कानून का नहीं, बल्कि शासन की इच्छाशक्ति का परिणाम है। गडचिरोली अब डर से नहीं, विकास की गति से पहचाना जाएगा।