मराठी भाषा पर विवाद
निवेश सलाहकार सुशील केडिया ने महाराष्ट्र में मराठी भाषा को लेकर चल रहे विवाद पर अपनी कड़ी प्रतिक्रिया व्यक्त की है। उन्होंने ट्विटर पर लिखा कि वे “30 साल से मुंबई में रहने के बावजूद मराठी ठीक से नहीं जानते” और अब “थोथर मराठी बोलने वालों” के खिलाफ आवाज उठाने का निर्णय लिया है। केडिया ने स्पष्ट रूप से कहा: **“मैं मराठी नहीं सीखूंगा, क्या करना है बोल?”** उनका यह बयान एक वायरल वीडियो के संदर्भ में आया, जिसमें कुछ मल्लखोर MNS कार्यकर्ता मिरा रोड पर एक दुकानदार से मराठी न बोलने पर विवाद कर रहे थे। वीडियो में देखा गया कि जब दुकानदार ने हिंदी में उत्तर दिया, तो उन कार्यकर्ताओं ने दुकान बंद करने की धमकी दी। राज्य मंत्री योगेश कदम ने भी इस पर प्रतिक्रिया दी, जिसमें उन्होंने कहा: “महाराष्ट्र में मराठी बोलना आवश्यक है, लेकिन बेइज्जती या हिंसा गलत है।” इस मामले में FIR दर्ज की गई है, जिसमें सात अज्ञात व्यक्तियों को आरोपी बनाया गया है। केडिया ने इस घटना को ‘भाषाई फासीवाद’ का उदाहरण बताते हुए कहा कि जब कुछ लोग मराठी के नाम पर दूसरों को धमका रहे हैं, तो वह इसे मराठी सीखने का बहाना नहीं मान सकते। भाषा के अधिकार और लोगों की भाषा सीखने की इच्छा को बढ़ावा देना आवश्यक है, लेकिन जब भाषा के नाम पर अन्य भाषाएं बोलने वालों को धमकाया जाए, तो यह लोकतांत्रिक मूल्यों के खिलाफ है। केडिया की टिप्पणी इस बात की ओर इशारा करती है कि भाषा विवाद केवल सांस्कृतिक नहीं, बल्कि राजनीति और पहचान का भी मामला बन गया है। उनकी प्रतिक्रिया ने महाराष्ट्र में भाषा से जुड़ी कठोर नीतियों और उत्पीड़न के खिलाफ बहस को और तेज कर दिया है। उनका कहना है कि मुंबई जैसे बहुभाषी शहर में भाषा सीखना व्यक्तिगत स्वतंत्रता है, और इसे जबरन थोपना गलत है।