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महाराष्ट्र में राजनीतिक हलचल: पवार परिवार के संभावित गठबंधन की चर्चा

महाराष्ट्र की राजनीति में हाल ही में हलचल तेज हो गई है, खासकर पवार परिवार के संभावित गठबंधन को लेकर। एनसीपी की सांसद सुप्रिया सुले ने कहा है कि उनकी पार्टी सभी संभावित गठबंधनों पर विचार कर रही है। आगामी स्थानीय निकाय चुनावों के मद्देनजर, अजित पवार और शरद पवार के बीच बातचीत चल रही है। जानें इस राजनीतिक समीकरण का क्या असर होगा और आगामी चुनावों में क्या संभावनाएँ हैं।
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महाराष्ट्र में राजनीतिक हलचल: पवार परिवार के संभावित गठबंधन की चर्चा

महाराष्ट्र की राजनीति में नई हलचल


महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति में एक बार फिर से गतिविधियाँ तेज हो गई हैं। उद्धव ठाकरे और राज ठाकरे के एकजुट होने के बाद, अब सभी की निगाहें पवार परिवार पर हैं। यह देखना दिलचस्प होगा कि क्या वरिष्ठ नेता शरद पवार और उनके भतीजे अजित पवार आगामी स्थानीय निकाय चुनावों से पहले किसी गठबंधन की दिशा में बढ़ रहे हैं।


सुप्रिया सुले के बयान से बढ़ी अटकलें

एनसीपी (शरद पवार गुट) की सांसद सुप्रिया सुले ने हाल ही में कहा कि उनकी पार्टी सभी संभावित गठबंधनों पर विचार कर रही है। उन्होंने स्पष्ट किया कि अजित पवार के साथ बातचीत चल रही है और दोनों पक्षों के वरिष्ठ नेताओं के बीच संवाद हुआ है। हालांकि, उन्होंने यह भी कहा कि अभी तक कोई अंतिम निर्णय या ठोस प्रस्ताव नहीं आया है।


स्थानीय निकाय चुनावों का महत्व

सूत्रों के अनुसार, महाराष्ट्र में नगर निगम चुनाव अगले महीने होने की संभावना है। इसी कारण सभी राजनीतिक दल अपनी रणनीतियों को तैयार करने में लगे हुए हैं। पुणे नगर निगम और पिंपरी-चिंचवड़ नगर निगम में वर्तमान में भाजपा का दबदबा है। ऐसे में, अजित पवार के नेतृत्व वाला एनसीपी गुट शरद पवार गुट के साथ संभावित गठबंधन पर विचार कर रहा है।


एनसीपी में विभाजन और राजनीतिक समीकरण

यह ध्यान देने योग्य है कि 2023 में शरद पवार द्वारा स्थापित एनसीपी दो भागों में विभाजित हो गई थी। अजित पवार गुट न केवल भाजपा-शिवसेना गठबंधन वाली सरकार में शामिल हुआ, बल्कि चुनाव आयोग से 'असली एनसीपी' का दर्जा भी प्राप्त किया। इसके बाद से दोनों गुट विभिन्न चुनावों और मुद्दों पर आमने-सामने रहे हैं।


2024 विधानसभा चुनावों के आंकड़े

2024 के महाराष्ट्र विधानसभा चुनावों में अजित पवार गुट ने महत्वपूर्ण सफलता प्राप्त की। जहां लोकसभा चुनावों में उसके पास केवल छह सीटों की बढ़त थी, वहीं विधानसभा में वह 41 विधायकों तक पहुंच गया। सीधे मुकाबले में उसने शरद पवार गुट को 27 सीटों पर हराया, जबकि वरिष्ठ पवार गुट को केवल सात सीटें मिलीं। भाजपा के नेतृत्व वाले महायुति गठबंधन ने कुल 235 सीटें जीतीं।