महाराष्ट्र में विपक्षी एकता पर संकट, बिहार में भी सीट बंटवारे की खींचतान

महाराष्ट्र की राजनीतिक स्थिति
महाराष्ट्र की राजनीति: जहां बिहार में महागठबंधन में सीटों के बंटवारे को लेकर मतभेद उभर रहे हैं, वहीं महाराष्ट्र में भी विपक्षी एकता पर संकट के बादल छा गए हैं। महाराष्ट्र में INDIA अलायंस के भीतर मतभेद बढ़ते जा रहे हैं। बिहार में महागठबंधन के दल, जैसे राष्ट्रीय जनता दल (आरजेडी), कांग्रेस और वाम दल, सीटों के बंटवारे पर सहमति नहीं बना पा रहे हैं, वहीं महाराष्ट्र में कांग्रेस और शिवसेना (उद्धव बालासाहेब ठाकरे) के बीच भी तनाव बढ़ता जा रहा है।
बिहार में 'फ्रेंडली फाइट' की स्थिति
बिहार में आगामी विधानसभा चुनावों से पहले महागठबंधन के घटक दलों के बीच सीट बंटवारे को लेकर खींचतान तेज हो गई है। सूत्रों के अनुसार, लगभग आधा दर्जन सीटों पर आरजेडी, कांग्रेस और वाम दल आमने-सामने आ सकते हैं। इस मुद्दे पर महागठबंधन के भीतर असंतोष बढ़ता दिख रहा है। हालांकि, अब तक न तो आरजेडी और न ही कांग्रेस ने इस विवाद पर कोई औपचारिक बयान जारी किया है।
महाराष्ट्र में विवाद का उभार
महाराष्ट्र में कांग्रेस ने अपने गठबंधन सहयोगियों के साथ चुनाव लड़ने पर पुनर्विचार करना शुरू कर दिया है। मुंबई कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष भाई जगताप ने मंगलवार को कहा कि पार्टी स्थानीय चुनाव अकेले लड़ने की इच्छा रखती है। उन्होंने स्पष्ट किया कि कांग्रेस उस गठबंधन में शामिल नहीं रहना चाहती, जिसमें राज ठाकरे की महाराष्ट्र नवनिर्माण सेना (MNS) को शामिल किया जाएगा।
भाई जगताप ने कहा कि यदि उद्धव ठाकरे राज ठाकरे के साथ गठबंधन करते हैं, तो कांग्रेस उनके साथ नहीं रहना चाहती। उन्होंने बताया कि महाराष्ट्र के प्रभारी रमेश चेन्निथला के साथ नई गठित समिति की बैठक में यह मुद्दा उठाया गया था, लेकिन इस पर अभी कोई औपचारिक निर्णय नहीं लिया गया है।
शिवसेना की प्रतिक्रिया
कांग्रेस नेता के इस बयान पर शिवसेना (उद्धव गुट) ने तीखी प्रतिक्रिया दी है। शिवसेना नेता आनंद दुबे ने कहा कि ऐसे निर्णय राहुल गांधी, मल्लिकार्जुन खड़गे या उद्धव ठाकरे लेते हैं। भाई जगताप किस हैसियत से ऐसा बयान दे रहे हैं? उन्होंने आगे कहा कि शिवसेना अपने सहयोगियों का सम्मान करती है, लेकिन जरूरत पड़ने पर अकेले चुनाव लड़ने के लिए भी तैयार है। दुबे ने याद दिलाया कि पिछले चुनाव में भी शिवसेना ने अकेले मैदान में उतरकर भाजपा को कड़ी टक्कर दी थी।
2019 से अब तक का गठबंधन समीकरण
कांग्रेस और उद्धव ठाकरे की पार्टी 2019 से सहयोगी हैं। उस समय एनसीपी प्रमुख शरद पवार की पहल पर महा विकास अघाड़ी (MVA) का गठन हुआ था, जिसने भाजपा-शिवसेना विवाद के बाद उद्धव ठाकरे को मुख्यमंत्री बनाया।
2022 में एकनाथ शिंदे की बगावत के बाद शिवसेना में विभाजन हुआ और वे भाजपा के साथ सत्ता में आ गए। अब राजनीतिक संकेत हैं कि उद्धव ठाकरे और उनके चचेरे भाई राज ठाकरे के बीच फिर से नजदीकियां बढ़ रही हैं। इसी संभावना ने कांग्रेस के भीतर असहजता पैदा कर दी है, क्योंकि मुंबई महानगरपालिका (BMC) चुनावों में राज और उद्धव के बीच संभावित समझौते की चर्चा जोरों पर है। बीएमसी को एशिया का सबसे अमीर नगर निकाय माना जाता है और इसी वजह से यह राजनीतिक रूप से बेहद अहम है।
पवार की प्रतिक्रिया पर सबकी निगाहें
महा विकास अघाड़ी के तीसरे प्रमुख सहयोगी शरद पवार अब तक इस पूरे घटनाक्रम पर चुप हैं। राजनीतिक पर्यवेक्षक मानते हैं कि उनकी प्रतिक्रिया ही तय करेगी कि महाराष्ट्र में INDIA अलायंस का भविष्य कैसा रहेगा।