Newzfatafatlogo

महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों की जटिलताएँ और गठबंधन की संभावनाएँ

महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों की तैयारी जोरों पर है, जिसमें विभिन्न राजनीतिक दलों के बीच गठबंधन की संभावनाएँ भी चर्चा का विषय हैं। शरद पवार और अजित पवार की पार्टियों के बीच तालमेल, एकनाथ शिंदे की शिवसेना के साथ संभावित गठबंधन, और बीएमसी के चुनावों की स्थिति पर नजर डालते हुए, यह स्पष्ट होता है कि चुनावी परिदृश्य काफी जटिल है। जानें कि कैसे ये चुनाव राज्य की राजनीति को प्रभावित कर सकते हैं और क्या कांग्रेस और भाजपा अलग-अलग चुनाव लड़ने की योजना बना रही हैं।
 | 
महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों की जटिलताएँ और गठबंधन की संभावनाएँ

महाराष्ट्र में चुनावी परिदृश्य

महाराष्ट्र का राजनीतिक गठबंधन देश के अन्य राज्यों से बिल्कुल अलग है। यहां के पत्रकार और राजनीतिक विश्लेषक अक्सर मजाक में कहते हैं कि कांग्रेस और भाजपा को छोड़कर, अन्य पार्टियाँ किसी भी पार्टी के साथ गठबंधन कर सकती हैं। दिलचस्प बात यह है कि यहां की पार्टियाँ लोकसभा और विधानसभा चुनावों की तुलना में स्थानीय निकाय चुनावों को अधिक गंभीरता से लेती हैं। वर्तमान में, सुप्रीम कोर्ट के आदेश पर स्थानीय निकाय चुनाव हो रहे हैं। नगर परिषद और नगर पंचायतों के चुनाव दो दिसंबर को होंगे, जबकि महानगरपालिकाओं के चुनाव, जिसमें मुंबई का बीएमसी भी शामिल है, जनवरी में होंगे। इन चुनावों में गठबंधन की स्थिति अभी स्पष्ट नहीं है।


गठबंधन की स्थिति

चुनावों में कई दिलचस्प घटनाएँ देखने को मिल रही हैं। शरद पवार और अजित पवार की पार्टियों ने कुछ स्थानों पर तालमेल किया है। वहीं, एकनाथ शिंदे की शिवसेना और पवार चाचा-भतीजे की एनसीपी के बीच भी गठबंधन की खबरें हैं। कुछ क्षेत्रों में महायुति, जिसमें भाजपा, शिंदे की शिवसेना और अजित पवार की एनसीपी शामिल हैं, एक साथ चुनाव लड़ने की योजना बना रही हैं। मुख्यमंत्री देवेंद्र फड़नवीस ने इस पर दिलचस्प टिप्पणी की, जिसमें उन्होंने कहा कि महाराष्ट्र में स्थानीय निकाय चुनावों में पार्टियों को अपने हिसाब से गठबंधन बनाने की स्वतंत्रता होती है।


बीएमसी चुनावों की चुनौतियाँ

बीएमसी के चुनावों के साथ-साथ पुणे, ठाणे, नागपुर जैसे महानगरों के चुनावों की स्थिति भी महत्वपूर्ण है। बीएमसी को स्थानीय निकायों की जननी माना जाता है, और इसका बजट कई राज्यों के बजट से बड़ा है। यदि सुप्रीम कोर्ट का दबाव नहीं होता, तो राज्य सरकार शायद चुनाव नहीं कराती। वर्तमान में, बीएमसी का प्रशासन राज्य सरकार के नियंत्रण में है, क्योंकि कई वर्षों से चुनाव नहीं हुए हैं। कहा जा रहा है कि कांग्रेस और भाजपा दोनों अलग-अलग चुनाव लड़ने की तैयारी कर रही हैं। इसका कारण यह है कि भाजपा की सहयोगी पार्टियों का मुंबई में कोई आधार नहीं है। वहीं, उद्धव ठाकरे की शिवसेना का मजबूत आधार है, लेकिन उन्होंने राज ठाकरे के साथ गठबंधन कर लिया है। इस स्थिति में कांग्रेस अलग से चुनाव लड़ने की योजना बना रही है।