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महाराष्ट्र सरकार की योजना में अनियमितता: उपमुख्यमंत्री ने स्वीकार की गलती

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने मुख्यमंत्री माझी लाड़की बहन योजना में अनियमितताओं को स्वीकार किया है। उन्होंने बताया कि सभी आवेदकों को बिना उचित जांच के वित्तीय सहायता दी गई, जिससे कई अयोग्य लाभार्थी सामने आए। विपक्ष ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया दी है, जबकि सरकार ने योजना के तहत अयोग्य लाभार्थियों को बाहर करने की प्रक्रिया शुरू कर दी है। इस स्थिति ने बजट पर भी दबाव डाला है। जानें इस योजना की पूरी कहानी और इसके प्रभावों के बारे में।
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महाराष्ट्र सरकार की योजना में अनियमितता: उपमुख्यमंत्री ने स्वीकार की गलती

योजना में अनियमितता की स्वीकृति

महाराष्ट्र के उपमुख्यमंत्री अजित पवार ने सोमवार को यह स्वीकार किया कि राज्य सरकार ने मुख्यमंत्री माझी लाड़की बहन योजना के तहत सभी आवेदकों को वित्तीय सहायता देने में "गलती" की है। पवार ने कहा, "हमने सभी महिलाओं (आवेदकों) को वित्तीय सहायता देने में गलती की। हमारे पास आवेदनों की जांच करने और अयोग्य लोगों को बाहर करने का समय कम था, क्योंकि विधानसभा चुनाव दो से तीन महीने में होने वाले थे।" अगस्त 2024 में शुरू की गई इस योजना में 21 से 65 वर्ष की आयु की पात्र महिलाओं, जिनकी वार्षिक आय 2.5 लाख रुपये से कम है, को प्रति माह 1,500 रुपये दिए जाते हैं।


अयोग्य लाभार्थियों पर कार्रवाई

अयोग्य लाभार्थियों पर कार्रवाई
हालांकि इस योजना का उद्देश्य गरीब महिलाओं को सशक्त बनाना था, लेकिन जांच में हजारों अयोग्य लाभार्थियों का पता चला, जिनमें 2,200 से अधिक सरकारी कर्मचारी शामिल हैं। पवार, जो वित्त विभाग के प्रमुख भी हैं, ने स्पष्ट किया कि पहले से दिए गए लाभ को वापस नहीं लिया जाएगा। उन्होंने कहा, "जब योजना शुरू की गई थी, तब सरकार ने अपील की थी कि केवल योग्य महिलाएं आवेदन करें, लेकिन ऐसा नहीं हुआ। जांच चल रही है। केवल जरूरतमंद महिलाओं को ही मासिक भुगतान मिलेगा।"


विपक्ष की प्रतिक्रिया और बजट पर दबाव

विपक्ष का हमला और बजट पर दबाव
विपक्ष ने इस मुद्दे पर तीखी प्रतिक्रिया दी है। शिवसेना (UBT) के सांसद संजय राउत ने पवार के इस्तीफे की मांग की और उन पर सरकारी धन के दुरुपयोग का आरोप लगाया। राउत ने कहा कि वित्त विभाग ने "वोटों के लिए सरकारी धन की लूट" को बढ़ावा दिया। दूसरी ओर, मंत्री अदिति तटकरे ने पुष्टि की कि लगभग दो लाख आवेदनों की जांच के बाद 2,289 अयोग्य सरकारी कर्मचारियों को योजना से बाहर किया गया। उन्होंने X पर लिखा, "यह पता चलने के बाद, ऐसे लाभार्थियों को योजना का लाभ नहीं दिया जा रहा है।" सामाजिक न्याय मंत्री संजय शिरसत ने स्वीकार किया कि योजना के कारण बजट पर दबाव है। उन्होंने कहा, "यह सच है कि मासिक राशि को 1,500 रुपये से बढ़ाकर 2,100 रुपये नहीं किया जा सकता।"