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महाराष्ट्र सरकार ने थ्री लैंग्वेज पॉलिसी पर लिया कदम पीछे, विरोध के चलते रोका कार्यान्वयन

महाराष्ट्र सरकार ने थ्री लैंग्वेज पॉलिसी के कार्यान्वयन पर रोक लगा दी है, जो बढ़ते विरोध के चलते किया गया है। मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने इस नीति के लिए एक समिति का गठन करने की घोषणा की है, जो यह तय करेगी कि हिंदी को किस कक्षा से लागू किया जाए। इस निर्णय के पीछे राजनीतिक दलों का विरोध और आंदोलन की चेतावनी है। जानें इस मुद्दे पर और क्या जानकारी मिली है।
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महाराष्ट्र सरकार ने थ्री लैंग्वेज पॉलिसी पर लिया कदम पीछे, विरोध के चलते रोका कार्यान्वयन

महाराष्ट्र सरकार का निर्णय

महाराष्ट्र समाचार: महाराष्ट्र सरकार ने थ्री लैंग्वेज पॉलिसी के मुद्दे पर बढ़ते विरोध के चलते फिलहाल कदम पीछे खींच लिया है। इस नीति की घोषणा के बाद से ही इसका विरोध शुरू हो गया था। विरोध के बढ़ने पर, सरकार ने इस नीति के कार्यान्वयन पर रोक लगा दी है। मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने रविवार को इस विषय पर बयान देते हुए कहा कि इस नीति के क्रियान्वयन के लिए एक समिति का गठन किया जाएगा। यह समिति डॉ. नरेन्द्र जाधव की अध्यक्षता में कार्य करेगी। समिति की रिपोर्ट आने के बाद ही इस नीति को लागू करने का निर्णय लिया जाएगा।


विरोध के चलते आंदोलन की चेतावनी

विरोध में 5 जुलाई को थी बड़े आंदोलन की चेतावनी


महाराष्ट्र में हिंदी को तीसरी भाषा के रूप में लागू करने के संबंध में जारी सरकारी आदेश को रविवार को वापस ले लिया गया है। इस आदेश के खिलाफ राजनीतिक दलों और आम जनता द्वारा लगातार विरोध किया जा रहा था। हाल के दिनों में इस मुद्दे पर राज्य में राजनीतिक हलचल बढ़ गई थी। शिवसेना (उद्धव गुट) और मनसे ने मिलकर इस आदेश के खिलाफ मोर्चा खोला था। उनके कार्यकर्ताओं ने आदेश की प्रतियां जलाने के साथ ही 5 जुलाई को बड़े आंदोलन की घोषणा भी की थी। विरोध के चलते, महाराष्ट्र सरकार ने अपने आदेश को फिलहाल वापस लेने का निर्णय लिया है।


समिति की रिपोर्ट के बाद आगे का निर्णय

समिति की रिपोर्ट के बाद आगे का फैसला


मुख्यमंत्री देवेन्द्र फडणवीस ने कहा कि इस मामले में एक नई समिति का गठन किया जाएगा। यह समिति यह तय करेगी कि किस कक्षा से हिंदी को लागू किया जाना चाहिए और इसे राज्य में कैसे लागू किया जा सकता है। समिति की रिपोर्ट आने के बाद इस नीति को लागू करने पर निर्णय लिया जाएगा। राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में इस नीति पर रोक लगाने का निर्णय लिया गया है।