Newzfatafatlogo

महाराष्ट्र सरकार ने लाडली बहन योजना के लिए आदिवासी फंड का किया ट्रांसफर

महाराष्ट्र सरकार ने लाडली बहन योजना के तहत महिलाओं को आर्थिक सहायता देने के लिए आदिवासी विकास विभाग से 335.70 करोड़ रुपये का फंड ट्रांसफर किया है। यह तीसरी बार है जब आदिवासी समुदाय के लिए आरक्षित फंड को इस योजना में डायवर्ट किया गया है। नीति आयोग के स्पष्ट निर्देशों के बावजूद, सरकार इस फंड का उपयोग अन्य योजनाओं में कर रही है, जिससे सवाल उठ रहे हैं कि क्या यह अल्पसंख्यक और हाशिए पर खड़े समुदायों के साथ न्याय कर रही है।
 | 
महाराष्ट्र सरकार ने लाडली बहन योजना के लिए आदिवासी फंड का किया ट्रांसफर

आर्थिक सहायता के लिए फंड ट्रांसफर

महाराष्ट्र सरकार ने लाडली बहन योजना के तहत महिलाओं को आर्थिक सहायता प्रदान करने के लिए आदिवासी विकास विभाग से 335.70 करोड़ रुपये की राशि एक बार फिर ट्रांसफर की है। यह तीसरी बार है जब आदिवासी समुदाय के लिए निर्धारित फंड को इस योजना में स्थानांतरित किया गया है। यह निर्णय तब लिया गया है जब नीति आयोग ने स्पष्ट निर्देश दिए हैं कि अनुसूचित जाति (SC) और अनुसूचित जनजाति (ST) के लिए आवंटित बजट का उपयोग केवल उन्हीं वर्गों के कल्याण के लिए होना चाहिए।


फंड ट्रांसफर का इतिहास

अप्रैल 2025 में, सरकार ने अनुसूचित जाति और जनजाति विभाग से ₹410 करोड़ की राशि लाडली बहन योजना में ट्रांसफर की थी। इसके बाद, मई 2025 में आदिवासी विकास विभाग से ₹335.70 करोड़ की राशि पहली बार इस योजना में स्थानांतरित की गई। अब, मई 2025 में एक बार फिर वही राशि 335.70 करोड़ रुपये आदिवासी विकास निधि से हटाकर योजना में डाली गई है।


नीति आयोग के दिशा-निर्देशों की अनदेखी

नीति आयोग ने केंद्र सरकार के सामाजिक न्याय विभाग, आदिवासी मामलों के मंत्रालय, और सभी राज्यों के मुख्यमंत्रियों को भेजे गए पत्र में स्पष्ट रूप से कहा है कि SC/ST फंड का उपयोग केवल उन्हीं वर्गों के लिए किया जा सकता है। यह फंड किसी अन्य योजना या वर्ग के लाभार्थियों के लिए नहीं लगाया जा सकता।


अन्य योजनाओं में फंड का उपयोग

यदि किसी योजना के लिए अतिरिक्त राशि की आवश्यकता होती है, तो वह अतिरिक्त बजट से दी जानी चाहिए, न कि आरक्षित निधियों को काटकर। इसके बावजूद, महाराष्ट्र सरकार बार-बार इस फंड का उपयोग अन्य योजनाओं में कर रही है, जो नीति आयोग के दिशा-निर्देशों का उल्लंघन है। सरकार को यह तय करना होगा कि वह अल्पसंख्यक और हाशिए पर खड़े समुदायों के साथ न्याय करेगी या राजनीतिक लाभ के लिए उनके हिस्से की योजनाओं को लोकलुभावन उपायों में बदल देगी।