महेंद्रगढ़ में कृषि विभाग की लापरवाही से किसान परेशान

कृषि विभाग की विफलता
महेंद्रगढ़ समाचार (Mahendragarh News) । महेंद्रगढ़ और कनीना खंड में कृषि एवं किसान कल्याण विभाग किसानों को आवश्यक तकनीकी सहायता प्रदान करने में पूरी तरह असफल हो गया है। पिछले एक साल से कृषि विकास अधिकारी (एडीओ) के 21 स्वीकृत पदों पर कोई भी अधिकारी नियुक्त नहीं किया गया है।
किसानों को नहीं मिल रहा समाधान
इसका परिणाम यह है कि किसानों को फसल उत्पादन से संबंधित समस्याओं का समाधान नहीं मिल रहा है, और योजनाओं के लाभ भी समय पर नहीं पहुंच रहे हैं। विभाग के अधिकारी किसानों की मदद का दावा कर रहे हैं, लेकिन वास्तविकता यह है कि किसानों की समस्याएं बढ़ती जा रही हैं, और कृषि विभाग की यह लापरवाही उनके प्रयासों और उत्पादन पर नकारात्मक प्रभाव डाल रही है।
कागजी रिपोर्ट का खेल
उच्च अधिकारियों तक केवल कागजी रिपोर्ट
कृषि विभाग हर तीन महीने में स्टाफ की स्थिति की रिपोर्ट सरकार को भेजने का दावा करता है, लेकिन पिछले एक साल से खाली पदों पर नियुक्तियों के लिए कोई ठोस कदम नहीं उठाया गया है। यह सवाल उठता है कि किसानों से जुड़ी इस गंभीर समस्या को जानबूझकर क्यों नजरअंदाज किया जा रहा है।
किसानों की आवाज दबाई जा रही है
वर्ष 2023 में महेंद्रगढ़ और कनीना खंड में केवल एक-एक एडीओ तैनात था, लेकिन कनीना से अधिकारी के स्थानांतरण के बाद स्थिति और बिगड़ गई है। अब दोनों उपमंडल में एडीओ पद पर कोई अधिकारी नहीं है। इसके अलावा, कनीना में उपमंडल अधिकारी का पद भी लंबे समय से रिक्त है। किसानों के हितों की रक्षा करने वाला यह महत्वपूर्ण पद खाली छोड़ना विभाग की गंभीर लापरवाही को दर्शाता है।
कृषि विभाग की स्थिति
उपमंडल कृषि अधिकारी डॉ. अजय यादव का कहना है कि किसानों को किसी प्रकार की परेशानी नहीं होने दी जा रही है। समय-समय पर शिविर लगाकर उन्हें योजनाओं और तकनीकी जानकारी से अवगत कराया जा रहा है। साथ ही, रिक्त पदों पर तैनाती की मांग उच्चाधिकारियों को भेजी गई है।
कर्मचारियों की कमी
विभाग में तैनाती की हकीकत
कृषि विभाग में कर्मचारियों की कमी का आलम यह है कि कई महत्वपूर्ण पद खाली हैं। खंड कृषि अधिकारी और विषय विशेषज्ञ (एसएमएस) का एक-एक पद रिक्त है। सांख्यिकी सहायक और तकनीकी सहायक के पद भी आंशिक रूप से भरे हैं। सबसे चिंताजनक बात यह है कि 21 एडीओ पदों पर कोई अधिकारी नहीं है, जिससे विभागीय कार्य और किसानों की सहायता बुरी तरह प्रभावित हो रही है।
योजनाएं अधर में
एडीओ की अनुपस्थिति के कारण किसानों को फसलों में आने वाली बीमारियों का निदान नहीं मिल रहा है। प्राकृतिक आपदा या कीट प्रकोप की स्थिति में केवल औपचारिकताएं निभाई जा रही हैं। सरकारी योजनाओं से मिलने वाले अनुदान संबंधी बिलों में लगातार त्रुटियां सामने आ रही हैं और उनका निपटारा महीनों तक लटका रहता है। किसानों को अनुसंधानों की ताजा तकनीकी जानकारी समय पर नहीं मिल रही है। विभागीय कार्य भी प्रभावित हैं और तकनीकी देखरेख का जिम्मा ऐसे सुपरवाइजरों को सौंपा गया है जो तकनीकी रूप से सक्षम नहीं हैं।