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मातेश्वरी जगदंबा सरस्वती स्मृति दिवस पर आध्यात्मिक मूल्यों से नशामुक्त समाज का संकल्प

मातेश्वरी जगदंबा सरस्वती के 60वें स्मृति दिवस पर आध्यात्मिक मूल्यों से नशामुक्त समाज का संकल्प लिया गया। इस अवसर पर ब्रह्माकुमारी संस्थान के सदस्यों ने मातेश्वरी के योगदान और शिक्षाओं पर प्रकाश डाला। कार्यक्रम में उनके जीवन के महत्वपूर्ण पहलुओं को साझा किया गया, जिसमें उन्होंने समाज में पवित्रता और दिव्यता का पाठ पढ़ाया। जानें इस विशेष दिन के महत्व और मातेश्वरी के विचारों के बारे में।
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मातेश्वरी जगदंबा सरस्वती स्मृति दिवस पर आध्यात्मिक मूल्यों से नशामुक्त समाज का संकल्प

मातेश्वरी जगदंबा सरस्वती का 60वां स्मृति दिवस


(Charkhi Dadri News) बाढड़ा। आध्यात्मिक मूल्यों के माध्यम से नशामुक्त और दिव्य समाज की स्थापना का संकल्प मातेश्वरी जगदंबा सरस्वती ने लिया। उन्हें आधुनिक युग की चैतन्य देवी माना जाता है, जिन्होंने ईश्वरीय ज्ञान और शक्तियों के माध्यम से लोगों को जागरूक किया। यह विचार प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय की कादमा शाखा द्वारा आयोजित कार्यक्रम में सेवाकेंद्र प्रभारी राजयोगिनी ब्रह्माकुमारी वसुधा बहन ने व्यक्त किए।


उन्होंने बताया कि मातेश्वरी ने 24 जून 1965 को अपने शरीर का त्याग किया और इस दिन को ब्रह्माकुमारी संस्थान के सदस्य आध्यात्मिक ज्ञान दिवस के रूप में मनाते हैं। वसुधा बहन ने मातेश्वरी के जीवन पर प्रकाश डालते हुए कहा कि वह संस्थान की पहली प्रशासिका थीं और उन्होंने अध्यात्म के माध्यम से कन्याओं और माताओं को सशक्त बनाया।


मातेश्वरी का योगदान और शिक्षाएं

पवित्रता और दिव्यता का प्रतीक


वसुधा बहन ने कहा कि मातेश्वरी को सभी लोग प्यार से मम्मा कहते थे, क्योंकि उनके चेहरे पर मातृत्व की झलक थी। उन्होंने समाज में आध्यात्मिक और मानवीय मूल्यों का पाठ पढ़ाया। इस अवसर पर झोझू कलां सेवाकेंद्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी ज्योति बहन ने कहा कि मातेश्वरी की वाणी में एक विशेष मधुरता थी, जो लोगों को शांति और शक्ति प्रदान करती थी।


उन्होंने कहा कि मातेश्वरी ने कभी किसी के अवगुण नहीं देखे, बल्कि हमेशा विशेषताओं पर ध्यान केंद्रित किया। अगर हम अपने परिवार और समाज में शांति का माहौल बनाना चाहते हैं, तो हमें मातेश्वरी के पद चिन्हों पर चलना होगा।


कार्यक्रम में ब्रह्माकुमारी ज्योति बहन ने बताया कि जगदंबा सरस्वती ने 45 वर्ष की आयु में हमें जीवन जीने की कला सिखाई। उनकी शिक्षाएं और व्यक्तित्व हमेशा अमर रहेंगे। उन्होंने कहा कि जगदंबा ने दैवी गुणों का ऐसा बीजारोपण किया है, जो आज 140 देशों में फैल चुका है। इस अवसर पर कई गणमान्य व्यक्तियों ने मातेश्वरी के चित्र पर श्रद्धांजलि अर्पित की।